पश्चिम बंगाल की सीएम और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी है कि गुरुवार (1 फरवरी 2029) तक राज्य का सारा बकाया नहीं चुकाया गया तो वे अगले दिन शुक्रवार से पूरे धरना-प्रदर्शन शुरू कर देंगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार राज्य के हक पर कब्जाकरके बैठी है और कई बार मांग के बावजूद वापस नहीं कर रही है। इससे राज्य सरकार को आम जनता के काम को कराने में समस्या आ रही है।
मनरेगा से लेकर मिडडे मील तक के अरबों रुपये मिलने हैं
बनर्जी ने कहा, “अगर केंद्र सरकार ने फंड नहीं दिया तो हम बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू करेंगे।” पश्चिम बंगाल सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, केंद्र पर राज्य का प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत 9,330 करोड़ रुपये, मनरेगा के तहत 6,900 करोड़ रुपये, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत 830 करोड़ रुपये, पीएम ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत 770 करोड़ रुपये, स्वच्छ भारत मिशन (SBM) के तहत 350 करोड़ रुपये, मध्याह्न भोजन (MDM) 175 करोड़ रुपये के साथ ही अन्य योजनाओं के तहत पैसा बकाया है।
पिछले साल 20 दिसंबर को सीएम ने पीएम से की थी मुलाकात
बनर्जी ने पिछले साल 20 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और बकाया केंद्रीय धन के मुद्दे पर चर्चा की थी। बैठक के बाद उन्होंने कहा कि मोदी ने प्रस्ताव दिया कि राज्य और केंद्र के अधिकारी एक साथ बैठ सकते हैं और मुद्दों को सुलझा सकते हैं। इस सप्ताह की शुरुआत में राज्य सरकार के अधिकारियों की एक टीम ने अपने केंद्रीय समकक्षों से मिलने के लिए नई दिल्ली का दौरा भी किया।
इस दौरान राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने 100 दिनों की कार्य योजना में कथित अनियमितताओं और उन्हें दूर करने के लिए किए गए उपायों पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव शैलेश कुमार सिंह से भी मुलाकात की।
इस बीच लोकसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को राज्य के उत्तरी हिस्से में पदयात्रा की। उन्होंने पहले उत्तर दिनाजपुर के चोपड़ा शहर में ‘जोनो संजोग यात्रा’ निकाली। इसके बाद उन्होंने पास के इस्लामपुर में एक और यात्रा की। चोपड़ा शहर से गुजरते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सड़क के किनारे खड़े लोगों का हाथ जोड़कर अभिवादन किया। यात्रा के दौरान पार्टी नेताओं, महिलाओं और बच्चों सहित स्थानीय लोगों ने उनका स्वागत किया। ममता बनर्जी का ये मार्च ऐसे समय में हुआ है जब तृणमूल कांग्रेस उत्तरी पश्चिम बंगाल में अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है।
