पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए मंगलवार को तीसरे चरण में 31 सीटों पर लगभग 78 प्रतिशत मतदान की खबर हैं। इस चरण में ममता बनर्जी ने एक नयी रणनीति के साथ महिला कार्यकर्ताओं को भी पोलिंग एजेंट के रूप में तैनात किया था। वहीं कई ऐसे भी बूथ थे जहां तृणमूल कांग्रेस को पोलिंग एजेंट भी नहीं मिले। साथ कुछ बूथों पर भारतीय जनता पार्टी के भी पोलिंग एजेंट नहीं दिखे।
मंगलवार को तीन जिले की 31 सीटों पर 205 उम्मीदवारों का भाग्य इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में बंद हो गया। जहां बंगाल में बीजेपी की एंट्री के बाद से मुकाबला रोचक हो गया है। वहीं इस चुनाव में भी कुछ पोलिंग बूथ पर बीजेपी के पोलिंग एजेंट नदारद रहे। वहीं ममता बनर्जी की पार्टी को भी पोलिंग एजेंट को लेकर दिक्कत का सामना करना पड़ा। तृणमूल दूसरे चरण में भी सभी बूथों पर एजेंटों की प्रतिनियुक्ति करने में विफल रही थी। यहां तक कि नंदीग्राम जहां से जहाँ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी स्वयं उम्मीदवार थी वहां भी हर बूथ पर एजेंट नहीं थे।
टेलीग्राफ की खबरों के अनुसार हुगली के 8 विधानसभा क्षेत्रों के लगभग 100 बूथों पर टीएमसी को मतदान की शुरुआत में पोलिंग एजेंट की कमी का सामना करना पड़ा। हालांकि तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने बीजेपी पर उनके कार्यकर्ताओं को बूथ से भगाने का भी आरोप लगाया है।
डटी रही महिला कार्यकर्ता: तृणमूल कांग्रेस की तरफ से इस चरण में “नारी शक्ति” का जमकर प्रयोग किया गया। कई जगहों पर जब बीजेपी या विरोधियों की तरफ से पुरुष पोलिंग एजेंट को मतदान केंद्र से हटा दिया गया तो महिलाओं ने मोर्चा संभाल लिया। 40 वर्षीय चंपा मन्ना, पुरषुरा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में 6 घंटे तक बूथ पर काम किया। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मेरे पति को बीजेपी वालों ने नहीं रहने दिया तो मैंने जिम्मेदारी संभाल ली।
तृणमूल कांग्रेस की तरफ से इस चुनाव में 30 महिला कार्यकर्ताओं को पोलिंग एजेंट बनाया गया था।गौरतलब है कि बंगाल में 8 चरण में मतदान हो रहे हैं। तीन चरण के मतदान के बाद अब अगले पांच चरण में 203 सीटों पर चुनाव होने हैं। अंतिम चरण का मतदान 29 अप्रैल को होना है जबकि 2 मई को मतगणना की जाएगी।