महाराष्ट्र की सियासत में दोनों ही गठबंधन सीटों के बंटवारे को लेकर परेशान दिखाई दे रहे हैं। जहां बीजेपी-शिवसेना (शिंदे गुट) के बीच विवाद विज्ञापन विवाद के बाद सामने आया है, वहीं महा विकास अघाड़ी (MVA) के बीच भी लोकसभा चुनाव से पहले सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान की खबरे हैं।
विज्ञापन विवाद क्या है? एकनाथ शिंदे से नाराज़ दिखाई दी भाजपा
शिवसेना (शिंदे गुट) ने मंगलवार (13 जून) को महाराष्ट्र के अखबारों के ज़रिए एक विज्ञापन जारी किया था। इस विज्ञापन में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को प्रमुखता से दिखाया गया था। इसके बाद चर्चा का दौर शुरू हुआ की प्रदेश सरकार में एकनाथ शिंदे का कद ज़्यादा बड़ा है या डिप्टी सीएम देवेन्द्र फडणवीस ज़्यादा प्रभाव रखते हैं, और आखिर 2024 में चुनाव की कमान कौन संभालेगा? अटकलें यह भी थी कि भाजपा इस विज्ञापन को लेकर नाराज़ थी। इस चर्चा का असर यह हुआ कि सरकार ने अगले ही दिन एक और विज्ञापन जारी किया, जिसमें महाराष्ट्र के विकास में दोनों नेताओं के योगदान को प्रमुखता से दिखाया गया।
ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले दोनों दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर भी मतभेद सामने आ सकते हैं। क्योंकि दोनों ही दल ज़्यादा से ज़्यादा सीटों पर नज़र गढ़ाए हुए हैं। जहां भाजपा महाराष्ट्र के बीजेपी प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि हम 48 में से 45 लोकसभा सीटें जीतेंगे वहीं शिवसेना शिंदे गुट ने भी 22 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही है। हालांकि ऐसा मुश्किल ही लगता है कि भाजपा के साथ गठबंधन में रहते हुए शिवसेना (शिंदे गुट) को 22 सीटें मिलना बहुत आसान नहीं दिखाई देता है।
एमवीए में क्या है सीटों के बंटवारे की लड़ाई
शिवसेना (उद्धव गुट) ने बयानों के ज़रिए यह ज़ाहिर किया है कि वह उन 19 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगे जहां पिछले चुनाव में उन्हें जीत मिली थी, ऐसे में शिवसेना के टूटने के बाद कमजोर हुए उद्धव ठाकरे के लिए गठबंधन को इस फोर्मूले पर राजी करना बहुत आसान नहीं होगा, क्योंकि कांग्रेस महाराष्ट्र में अक बड़ी ज़मीन की तलाश में हैं, वहीं एनसीपी ने भी अभी अपनी इच्छा ज़ाहिर नहीं की है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि यह दल कैसे सीट बंटवारे के मुश्किल फैसले से पार पाते हैं।