हाजिरजवाबी में माहिर स्मृति ईरानी का अंदाज बचपन से ही बेलाग रहा। घर से आते-जाते अगर कोई लड़का उन्हें छेड़ने की हिमाकत करता था तो वह धुनाई करने से पीछे नहीं हटती थीं। लेकिन एक दौर आया जब वह लड़कपन को छोड़कर गंभीरता से अपने जीवन के बारे में सोचने लगीं।
स्मृति ने बताया कि वह दिल्ली के आरके पुरम के सेक्टर छह में रहती थीं। उनके नाना जी का घर सेक्टर सात में था। वहां से आते-जाते अगर कोई लड़का कमेंट करता था तो वह उसे मजा चखाने से नहीं चूकती थीं। दरअसल, रजत शर्मा के शो आपकी अदालत में उनसे सवाल पूछा गया था कि आप अभी तो हाजिर जवाब हैं, लेकिन बचपन में बेहद सादगी से शांत रहती थीं।
अमेठी से बीजेपी सांसद ने बताया कि एक बदलाव ऐसा आया जब वह किताबों की तरफ मुड़ गईं। उस दौरान वह बेहद शांत हो गई थीं। रिश्तेदार कहते थे कि लड़की पूरी की पूरी निकम्मी है। लेकिन उनके नानाजी का विश्वास था कि वह एक दिन जरूर कुछ बनेंगी। नानाजी के देहांत के बाद उन्हें लगा कि कुछ बनना चाहिए। जिससे वह नानाजी के विश्वास पर खरा उतरकर दूसरे लोगों को गलत साबित कर सकें। यही से उनका जीवन बदल गया।
स्मृति का जन्म 23 मार्च 1976 को दिल्ली में हुआ। उन्होंने दिल्ली से ही शिक्षा ग्रहण की। मॉडलिंग में प्रवेश करने से पहले, वह मैकडॉनल्ड्स में वेट्रेस और क्लीनर के पद पर कार्य कर चुकी हैं। बाद में स्मृति ईरानी मुंबई चली आईं। यहां उन्होंने टेलीविजन धारावाहिक ‘क्यूंकि सास भी कभी बहू थी’ में ‘तुलसी’ का केन्द्रीय किरदार निभाया। इससे मिली शोहरत ने उन्हें देश के घर घर का दुलारा बना दिया।
उन्हें हमेशा से लीक से अलग हटकर चलने वाला माना जाता है। रूढ़ीवादी पंजाबी-बंगाली परिवार की तीन बेटियों में से एक स्मृति ने सारी बंदिशें तोड़कर ग्लैमर जगत में कदम रखा। उन्होंने 1998 में मिस इंडिया प्रतियोगिता में हिस्सा लिया, लेकिन फाइनल तक मुकाम नहीं बना पाईं। इसके बाद स्मृति ने मुंबई जाकर अभिनय के जरिए अपनी किस्मत बनाई।
स्मृति 2003 में बीजेपी में शामिल हो गई थीं। 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने दिल्ली के चांदनी चौक से वकील कपिल सिब्बल के खिलाफ चुनाव लड़ा। इस चुनाव में ईरानी को हार का सामना करना पड़ा, लेकिन इसके कुछ समय बाद ही ईरानी को भारतीय जनता पार्टी की महाराष्ट्र युवा इकाई का उपाध्यक्ष बनाया गया। 2011 में स्मृति, गुजरात से राज्यसभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित हुईं।
आजकल स्मृति ईरानी की कई भाषाओं में धाराप्रवाह भाषण देने की ग़ज़ब की क्षमता रोज़ दिखाई देती है. स्मृति को जन्मदिन की शुभकामनाएँ. 'आप की अदालत' में उनकी हाज़िरजवाबी कमाल की थी. ईश्वर उन्हें स्वस्थ रखे, वो दीर्घायु हों. @smritiirani pic.twitter.com/sdXY7YFWHQ
— Rajat Sharma (@RajatSharmaLive) March 23, 2021
नरेंद्र मोदी का नजदीकी होने के कारण उन्हें पार्टी ने 2014 में उन्हें कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ खड़ा किया था। इसी चुनाव में आम आदमी पार्टी ने कुमार विश्वास को भी मैदान में उतारा था। अमेठी में वह गांधी परिवार की जड़ें उखाड़ने में सफल नहीं हो सकीं। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को हराकर रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की।
मोदी की पहली कैबिनेट में उन्हें मानव संसाधान विकास जैसे अहम मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया। हालांकि कुछ समय बाद में उन्हें इस महकमे से हटाकर टेक्सटाइल मिनिस्ट्री में भेज दिया गया। फिलहाल वह केंद्रीय मंत्री होने के साथ बीजेपी की आवाज भी हैं। विपक्ष के खिलाफ उनके तेवर अक्सर बहुत ज्यादा तीखे होते हैं। मनमोहन सरकार के दौरान वह बहुत ज्यादा मुखर रही थीं।