Bangladesh Crisis: बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के गठन के बाद भी हालातों में सुधार नहीं हो पा रहा है। बांग्लादेश के लोग अब भारत की तरफ मुंहबाएं खड़े हुए हैं कि हमें किसी भी तरह यहां पर एंट्री मिल जाए। हालांकि, भारत-बांग्लादेश बार्डर पर बीएसएफ के जवान मुस्तैदी से डटे हुए हैं और किसी भी तरह की घुसपैठ को रोकने के लिए हर तरह की कोशिश कर रहे हैं।

पड़ोसी देश में अशांति के बाद से ही बांग्लादेशी लोगों की आमद का सवाल पश्चिम बंगाल की राजनीति मे उथल-पुथल मचा रहा है। बंगाल में सभी पार्टियां इस मुद्दे पर कुछ भी कदम उठाने से काफी परहेज करती हैं। राज्य की राजनीति में यह मुद्दा हमेशा से ही विवाद का विषय बना रहा है। शेख हसीना की सरकार के सत्ता से हटने के बाद और हिंदुओं को टारगेट किए जाने की घटनाओं के बाद में बांग्लादेशियों ने सबसे पहले जलपाईगुड़ी के रास्ते में भारते में घुसने की कोशिश की थी।

इन बांग्लादेशी लोगों में करीब 500 लोग शामिल थे। हालांकि, बीएसएफ ने इस तरह की कोशिश पर पानी फेर दिया था। इसके बाद बंगाल के कूच बिहार जिले के बार्डर पर भी करीब एक हजार लोग जमा हो गए थे, लेकिन बीएसएफ ने किसी को भी अंदर नहीं आने दिया।

सुवेंदु अधिकारी बोले हमें हिंदू भाइयों को अपनाना होगा

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद में बंगाल बीजेपी के नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि 1 करोड़ से ज्यादा हिंदू बांग्लादेश से भारत में घुस सकते हैं। उन्होंने कहा कि सीएए के तहत उनको नागरिकता देने के लिए उनको तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि करीब 1 करोड़ शरणार्थी आएंगे और हमें हमारे हिंदू भाइयों को अपनाना होगा। केंद्र सरकार ने पहले ही सीएए की व्यवस्था कर दी है।

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मतुआ समुदाय का बंगाल में काफी बड़ा वोट बैंक का आधार माना जाता है। राज्य बीजेपी सीएए की समर्थक रही है। मतुआ समुदाय नामशूद्र समुदाय से आते हैं। यह बंटवारें के दौरान और साल 1971 के बाद काफी संख्या में भारत आ गए थे। वैसे तो मतुआ समुदाय का बहुत ही बड़ा वर्ग बीजेपी को समर्थन करने के लिए जाना जाता है।

हालांकि, इस समुदाय ने कई चुनावों में टीएमसी को भी वोट दिया है। राज्य की सीएम ममता बनर्जी सीएए का काफी पहले से ही विरोध करती हुईं नजर आती हैं। वह ऐसा इसलिए करती हैं क्योंकि मुस्लिम समुदाय के लोग भी इसका विरोध करते हैं। टीएमसी के वोटबैंक में मुस्लिमों की अच्छी खासी हिस्सेदारी है।

टीएमसी ने अधिकारी के बयान की निंदा की

सीएए का मकसद बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 के बाद भारत आए गैर-मुस्लिम समुदाय के लोगों को नागरिकता देना है। टीएमसी ने अधिकारी के बयान की निंदा की है। पार्टी के प्रवक्ता ने जॉय प्रकाश मजूमदार ने इसे भड़काऊ बयान बताया। मजूमदार ने कहा कि हमारी पार्टी का रुख यह है कि हम भारत सरकार के कदम का ही समर्थन करेंगे।

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यह बात पहले ही ममता बनर्जी ने साफ कर दी थी। पश्चिम बंगाल भारत-बांग्लादेश बार्डर का ज्यादा हिस्सा शेयर करता हैं। केंद्र को कोई भी फैसला लेने से पहले राज्य सरकार से सलाह जरूर लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी सीएम ने कहा कि केंद्र को बांग्लादेश में मौजूद इंडियन स्टूडेंट और मजदूरों को सही तरह से लाने का रास्ता निकालना चाहिए। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि बांग्लादेश से आने वाले लोगों को रोकना भी चाहिए।

टीएमसी सरकार ने जिला प्रमुखों से सतर्कता बरतने को कहा

तृणमूल कांग्रेस सरकार ने सभी जिला प्रमुखों को सतर्कता बरतने का आदेश भी दे दिया है। सुवेंदु अधिकारी के बयान देने के कुछ दिन बाद में ही बीजेपी के नेता और राज्यसभा के सांसद समिक भट्टाचार्य ने रविवार को इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि भारत में शरण लेने वाले बांग्लादेशियों पर वह कोई भी टिप्पणी नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि इस मामले पर गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय कोई भी बयान देंगे। बीजेपी की सतर्कता समझ में आती है और इसका काफी नुकसान भी सामने आ सकती है।

असम और त्रिपुरा में पहले भी घुसपैठ हो चुकी है और बीजेपी अब वहां पर काफी मजबूत पार्टी है। बॉर्डर पार से लंबे समय से चले आ रहे संबंधों ने पार्टियों में दरार पैदा कर दी है। बीजेपी नेता और पूर्व सांसद स्वप्न दास गुप्ता ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत के मित्रवत कुछ बांग्लादेशी लोगों को बीएसएफ ने बार्डर पर वापस भेज दिया है, क्योंकि उनके पास वेलिड वीजा नहीं था। असल में उन्हें भेड़ियों के सामने फेंक दिया गया। उन्होंने आगे कहा कि मैं अमित शाह से आग्रह करता हूं कि वे बांग्लादेश से हमारे संबंधों के लिए अपनी समझदारी को दिखाएं।

ममता बनर्जी ने दिया था बयान

ममता बनर्जी भी दुविधा के भंवर में फंसी हुईं दिखाई दी थी। 21 जुलाई को कोलकाता में टीएमसी की शहीद दिवस की रैली में सीएम ने कहा था कि वह बांग्लादेश से आए हुए लोगों को शरण दे देगा। अगर वह उसके दरवाजे पर आकर खड़े होते है। उस समय तो बीजेपी ने उनकी काफी आलोचना की थी। बीजेपी सांसद सौमित्र खान ने ग्रेटर बांग्लादेश बनाने की कोशिश का आरोप लगाया था और कहा था कि पार्टी किसी भी कीमत पर ऐसा नहीं होने देगी।