एक दिन खबर आई कि राहुल रायबरेली से लड़ेंगे… फिर सीधे दृश्य कि राहुल रायबरेली पहुंचे… राहुल ने पर्चा भरा। पक्षधर मगन कि कमाल का ‘मास्टर स्ट्रोक’ है… राहुल शतरंज के मंजे खिलाड़ी हैं! भाजपा के एक प्रवक्ता का जवाब आया कि काहे के मंजे हुए खिलाड़ी? जो खिलाड़ी आखिर में अपनी आसन्न हार देख अचानक समर्पण कर दे, वह शतरंज के खेल में ‘कायर’ कहलाता है, क्योंकि वह दूसरे को उसकी तयशुदा जीत से वंचित कर देता है!
इसी बीच पीएम ने कटाक्ष किया कि ‘डरो मत’…‘भागो मत…’ इसके बाद देर तक ‘ताताथैया’ होता रहा कि ‘वो डर गए हैं’…कि ‘ये डर गए हैं’।
सच, आज की राजनीति ‘डरो-डराओ, गुर्रो-गुर्राओ और फिर भी वीर कहाओ’ छाप है। इसी बीच आंध्र प्रदेश पुलिस ने अपनी ‘क्लोजर रिपोर्ट’ में बताया कि वेमुला अपनी जाति के जाली सर्टिफिकेट की पोल खुलने से डरा हुआ था… उसने आत्महत्या की थी… गजब कि इतने दिन भी ‘हत्या’ का ‘झूठ’ पसरा रहा!
फिर एक दिन दिल्ली के अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली समेत चार और बड़े नेता कांग्रेस को छोड़ भाजपा में शामिल हो लिए। मगर फिर एक दिन हरियाणा की भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेने वाले तीन स्वतंत्र विधायकों को कांग्रेस ने अपना बनाकर प्रतिशोध पूरा किया। सच, चुनावों ने राजनीति को भी ‘प्रतिशोध की भाषा’ से भर दिया है।
और सर जी! ये चुनाव ऐसे हैं, जिसमें बंगाल के राज्यपाल तक को कहना पड़ रहा है कि मुझे ‘फंसाने’ की योजना है! उन पर ‘यौन शोषण’ का आरोप लगाया गया है। फिर एक दिन लालू ने कह दिया कि मुसलमानों को पूरा आरक्षण मिलना चाहिए और सारी बहसें विपक्ष द्वारा ‘कोटे के भीतर कोटा देने’ बरक्स ‘आरक्षण खत्म करने’ के ‘आरोप प्रत्यारोपों’ पर अटकी रहीं।
एक आरोप लगाता कि ये ‘संविधान बदल देंगे’ तो दूसरा आरोप लगाता कि ये ‘ओबीसी, एससी, एसटी का कोटा छीनकर मुसलमानों को दे देंगे… तीन सौ सत्तर वापस ले आएंगे..!’डर का आदान-प्रदान हो रहा है। एक कहता है, ये ऐसा कर देंगे तो दूसरा कहता है, वो वैसा कर देंगे, यानी उनसे डरो और मुझे वोट दो। इस चुनाव की संचालक शक्ति ‘डर’ है, डराओ और वोट लो… मैं तुम्हें डर दूंगा… तुम मुझे वोट दो..!
फिर एक दिन प्रधानमंत्री ने ‘दो शहजादों’ को यह कह कर इज्जत बख्शी कि एक शहजादे दिल्ली में हैं, दूसरे बिहार में हैं। एक दिल्ली को अपनी जागीर समझता है, दूसरा बिहार को… जाहिर है कि जवाब में विपक्ष ने भी पीएम को जवाबी इज्जत बख्शी! एक दिन पीएम ने एक रैली में कह दिया कि यह चुनाव ‘वोट जिहाद’ और ‘रामराज्य’ के बीच है। आपको तय करना है कि भारत में ‘वोट जिहाद’ चलेगा या ‘रामराज्य’ चलेगा? क्या संविधान इसकी अनुमति देता है… इस पर विपक्ष की वही ‘ताकधिनाधिन’ सामने आई कि असली मुद्दों की जगह मोदी नफरत की राजनीति करते हैं…
कुछ चैनल ‘कम वोटिंग’ के कारण तलाशते रहे। एक चर्चक ने बताया कि वोट ‘ट्रांसफर’ करने में ‘कनफ्यूजन’ है, इसलिए वोट कम हो रहा है, लेकिन भाजपा का काडर प्रतिबद्ध है अपने बूथ के वोटर को निकाल के लाता है… फिर भी असलयित चार जून को ही मालूम पड़ेगी..! इसके बाद एक बार फिर ‘अंकल सैम’ का अवतरण हुआ। इस बार वे भारत के लोगों की ‘नस्ली मैपिंग’ करते दिखे कि पश्चिमी भारत के लोग ‘अरब’ जैसे लगते हैं, पूर्वी भारत के लोग ‘चीनी’ जैसे दिखते हैं, उत्तर के लोग ‘वाइट’ जैसे दिखते हैं और दक्षिण के ‘अफ्रीकी’ जैसे दिखते हैं…
इतना कहना था कि भाजपा ने तुरंत कहा कि ये घोर आपत्तिजनक बयान है। अब विषय राजनीति का नहीं रह गया, भारत के ‘अस्तित्व’ का हो गया है..!
उधर मोदी बरसे कि आज मैं बहुत गुस्से में हूं, ये चमड़ी के रंग के आधार पर मेरे देश का अपमान कर रहे हैं। मेरे देश के लोगों को इतनी बड़ी गाली दे दी… ये अमेरिका में शहजादे के ‘फिलासफर गाइड’ हैं। एक चर्चक ने कहा, यह देश को बांटने वाला बयान है। कांग्रेस को माफी मांगनी चाहिए।
पिटाई होते देख कांग्रेस ने इस बयान से अपने को अलग किया। अगले दिन, सैम पित्रोदा के ‘ओवरसीज कांग्रेस’ के ‘इनचार्ज’ पद से ‘इस्तीफे’ की खबर ने इस विवाद को ठंडा किया। बहरहाल, सप्ताह का सबसे ‘कटखना’ विवाद भाजपा की टिकट पर लड़ती नवनीत राणा के ‘पंद्रह सेकंड लगेंगे…’ वाले बयान से पैदा हुआ। जवाब में ओवैसी बोले कि ‘…पंद्रह घंटे ले लो, छोटे को मैंने रोक के रखा है… तुमको नहीं मालूम कि वो क्या है… उसे छोड़ दूं क्या… बोल दूं क्या… बताओ, कहां पे आना है?’ इसे लेकर चुनाव आयोग में शिकायत हुई और मामला भी दर्ज हुआ।