केंद्र सरकार में मंत्री अश्विनी चौबे के मुताबिक, स्वभाविक तौर पर अयोध्या में राम का मंदिर बनना है, किसी बाबर का नहीं। वह 2019 आम चुनाव और राम मंदिर से जुड़े सवालों का जवाब दे रहे थे, जब उन्होंने यह बात कही। अश्विनी चौबे ने कहा, ‘यह मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। मेरा माननीय सुप्रीम कोर्ट में पूरा भरोसा है। मुझे यह भी विश्वास है कि सुप्रीम कोर्ट आम लोगों की भावनाओं का सम्मान करेगा। अदालत जो भी फैसला लेगी, वो सभी को स्वीकार होगा।’ चौबे ने आगे कहा, ‘अयोध्या में राम का मंदिर नहीं बनेगा तो क्या बाबर का बनेगा?’ बता दें कि 2019 आम चुनाव से पहले राम मंदिर का मुद्दा एक बार फिर गर्म हो रहा है। हालांकि, बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने हाल ही में कहा कि आम चुनाव सिर्फ विकास के अजेंडे पर लड़ा जाएगा।
नकवी के इस बयान से अयोध्या के संतों का एक तबका खासा नाराज है। राम मंदिर के मुख्य पुजारी महंत सतेंद्र दास ने हाल ही में कहा कि अगर 2019 से पहले राम मंदिर का निर्माण नहीं हुआ तो चुनाव में बीजेपी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। वहीं, महंत परमहंस दास का कहना है कि अगर राम मंदिर नहीं बना तो आंदोलन होगा। दास के मुताबिक, वह यह सुनिश्चित करेंगे कि राम मंदिर न बनने की दशा में आम चुनाव में बीजेपी की हार हो।
उधर, गुरुवार को भी कुछ संतों और पुजारियों का दल यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से मिला। दिखंबर अखाड़े के महंत सुरेश दास की अगुआई में मिले इन साधुओं ने राम मंदिर निर्माण की कोशिशों को तेज करने की मांग की। सुरेश दास ने तो बीजेपी नेतृत्व को चेतावनी देते हुए कहा कि बीजेपी के पास पूर्ण बहुमत है और अगर अब भी राम मंदिर नहीं बना तो कब बनेगा? उन्होंने कहा कि अगर बीजेपी इस मुद्दे से खुद को दूर रखती है तो उसे लोकसभा चुनाव में जीत की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए।
उधर, यूपी शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने भी राम मंदिर निर्माण पर समर्थन दिया है। पीएम नरेंद्र मोदी को लिखे खत में उन्होंने कहा कि यह बेहद महत्वपूर्ण मुद्दा है और भारत के 80 करोड़ हिंदुओं की आस्था से जुड़ा हुआ है। रिजवी राम मंदिर निर्माण के धुर समर्थक हैं। बीते फरवरी महीने में वह अयोध्या भी गए थे और वहां रामलला के दर्शन किए थे। उनका मानना है कि कट्टरपंथी मुल्लाओं ने राम मंदिर मुद्दे को उलझाकर रखा है और सेक्युलर मुसलमान मंदिर निर्माण के पक्ष में हैं।