अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है। अयोध्या के राम मंदिर में स्थापित भगवान राम की मूर्ति को कर्नाटक के अरुण योगीराज ने बनाया है। अयोध्या के ही संस्कृति और संगीत के विद्वान सुमधुर शास्त्री ने इसे पहले दिन से बनते हुए देखा है।

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सुमधुर शास्त्री ने बताया कि राम मंदिर ट्रस्ट ने पहले ही निर्देश दे दिया था कि रामलला की छवि बाल स्वरूप की होगी और नख से शिख तक की लंबाई 51 इंच की होगी। इसके बाद अरुण योगीराज ने करीब 8 महीने में इस मूर्ति को तैयार किया। मूर्ति को बनाने से पहले अरुण योगीराज इसे स्वामीनारायण छपिया मंदिर और नैमिषारण्य के मंदिर गए और वहां पर उत्तर भारतीय स्वरूप को समझा।

स्वरूप को समझने के लिए अरुण योगीराज ने पुस्तकें पढ़ी, रामायण के श्लोक पढ़े और संतों से भी चर्चा की। बीच-बीच में वह राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा से भी बात करके दिशा निर्देश लेते थे। शास्त्री ने बताया कि भगवान का नेत्र बहुत ही विशेष मुहूर्त में तैयार किया गया है। साथ ही इसको गढ़ने की परंपरा भी विशेष है। उन्होंने बताया कि कर्मकूटी की विधान पूजा के बाद सोने की छेनी और चांदी की हथौड़ी से भगवान की आंखें गढ़ी गई। सुमधुर शास्त्री ने कहा कि जब तक आंखें नहीं बनी थी, तब तक मूर्ति का वो भाव नहीं दिख रहा था, जो आज दिख रहा है।

कौन हैं अरुण योगीराज?

अरुण योगीराज का परिवार वर्षों से मूर्ति निर्माण का कार्य करता रहा है। खुद अरुण योगीराज 11 वर्ष की उम्र से यह काम कर रहे हैं। अरुण योगीराज ने एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद कुछ दिन नौकरी की और फिर मूर्तिकला के काम में जुट गये। अयोध्या कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा था कि यह उनके लिये गौरव का क्षण है।

38 वर्षीय योगीराज को देश के सबसे अधिक डिमांड वाले मूर्तिकारों में गिना जाता है। अरुण योगीराज के पास 15 कारीगरों और कुछ छात्रों की एक टीम है जो कला सीखने के लिए काम कर रही है। भारत के अलावा योगीराज को अमेरिका, मलेशिया और अन्य स्थानों से भी कई ऑर्डर मिलते हैं।

योगीराज के दादा बी बासवन्ना शिल्पी को मैसूर के राजाओं द्वारा संरक्षण प्राप्त था। वह भी मूर्तिकार थे। उन्हें मैसूर महल के शाही गुरु और शिल्पी सिद्धांती सिद्धलिंग स्वामी द्वारा प्रशिक्षण मिला था। बसवन्ना ने मैसूर महल परिसर स्थित गायत्री मंदिर के लिए 11 महीनों में 64 मूर्तियां बनाई थीं।