गैंगस्टर अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के मामले में यूपी सरकार ने अपने दामन को पाक साफ रखने की पूरी कोशिश की है। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से मांगे गए जवाब में यूपी सरकार का कहना है कि 15 अप्रैल को दोनों भाईयों को हथियारों की रिकवरी के लिए पुलिस थाने से ले जाया गया था। दोनों की निशानदेही पर 17 हथियार बरामद भी किए गए।

यूपी सरकार के सेक्रेट्री होम ने अपने हलफनामे में कहा कि हथियारों की रिकवरी के बाद दोनों भाईयों ने बेचैनी की शिकायत की। इसी वजह से पुलिस दोनों को मोतीलाल नेहरू अस्पताल ले गई। तकरीबन 10.20 बजे वो पुलिस टीम के साथ वहां पहुंचे थे। हालांकि पुलिस दोनों की सुरक्षा को लेकर खासी एहतियात बरत रही थी। लेकिन मीडिया की टीम लगातार अतीक और अशरफ का पीछा कर रही थी।

पुलिस ने अस्पताल के भीतर जाने के लिए कुछ कदम आगे बढ़ाए ही थे कि मीडिया टीम ने अतीक और अशरफ को घेर लिया। दोनों भाई रुके और खबरनवीसों से बात करने लगे। अचानक मीडिया के बीच से दो लोग आए और फायरिंग कर दी। वो दोनों गोली चला ही रहे थे कि एक तीसरा शख्स भी सीन में दिखा। वो भी दोनों भाईयों पर फायरिंग करने लगा। 8 से 9 सेकेंड के भीतर सारा खेल हो गया। एक सिपाही और कुछ पत्रकारों को भी गोलियों के छर्रे लगे। हमलावरों की पहतचान लवलेश तिवारी, सन्नी पुराने और अरुण कुमार मौर्या के रूप में हुई है।

रिटायर्ड चीफ जस्टिस कर रहे हत्याकांड की जांच

सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि अतीक अशरफ की हत्या के बाद 3 सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया था। इसे बाद में 5 सदस्यीय कर दिया गया। इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहे जे दिलीप बाबासाहेब भोसले इसको लीड कर रहे हैं। कमेटी अभी तक 38 लोगों की गवाही ले चुकी है। 45 की ली जानी बाकी है। सरकार ने आयोग के कार्यकाल में 24 सितंबर 2023 का इजाफा किया है।

कमिश्नर प्रयागराज ने भी बनाई है SIT

इसके अलावा 3 सदस्यीय SIT भी प्रयागराज के कमिश्नर ने बनाई है। मानवाधिकार आयोग को सारी रिपोर्ट पुलिस की टीम ने दे दी है। वारदात के बाद क्राईम सीन की रीक्रिएट भी किया गया। 78 लोगों के बयान दर्ज किए गए, जिसमें 34 चश्मदीद हैं। पुलिस ने अतीक अशरफ की हत्या के बाद मौके से 3 पिस्टल, मैगजीन भी बरामद की थीं।