असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने आरोप लगाया है कि राज्यपाल पीबी आचार्य किसी राज्य के संवैधानिक प्रमुख से ज्यादा ‘आरएसएस कार्यकर्ता’ के रूप में आचरण कर रहे हैं। उन्होंने गुरुवार को यहां कहा कि राज्यपाल प्रदेश में पक्षपातपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। वे राजनीति कर रहे हैं और किसी आरएसएस कार्यकर्ता की तरह आचरण कर रहे हैं। गोगोई ने आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा सरकार ने राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रख कर आचार्य को यहां भेजा है। उन्होंने कहा-‘उन्हें नगालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था और उन्हें असम का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था। लेकिन अब ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हें विधानसभा चुनाव के लिए राज्य में लाया गया है।’

गोगोई ने आरोप लगाया कि वे ‘बिना मांगे सलाह’ दे रहे हैं और कुलाधिपति के रूप में वे प्रमुख पदों पर संघ की पृष्ठभूमि वाले शिक्षाविदों की नियुक्ति कर रहे हैं। उन्होंने कहा-‘मैंने अपने लंबे राजनीतिक सफर में कभी भी ऐसा राज्यपाल नहीं देखा।’

गोगोई भाजपा के खिलाफ संघर्ष के लिए एआइयूडीएफ सहित विभिन्न राजनीतिक ताकतों को संगठित कर उन्हें एक ही मंच पर लाने की मुहिम में जुट गए हैं। भाकपा, माकपा, एआईयूडीएफ और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट जैसी पार्टियों को साथ लाने की संभावित मुश्किलों के प्रति सावधान गोगोई का कहना है कि इसे राजनीतिक गठबंधन के तौर पर नहीं बल्कि साम्प्रदायिकता से निपटने के लिए ताकतों के साथ आने के तौर पर देखा जाना चाहिए। गोगोई ने कहा कि किसी गठबंधन की ऐसी कोई संभावना नहीं है। हालांकि भाकपा, माकपा, बीपीएफ और यहां तक की एआइयूडीएफ जैसी राजनीतिक ताकतों से मैं अपील करूंगा कि वे देश में मुश्किल पैदा करने की कोशिश में जुटी विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ हाथ मिलाएं।

2014 के लोकसभा चुनाव में असम की 14 में सात सीटें जीत कर भाजपा सबसे बड़ी विजेता पार्टी बनकर उभरी और इत्र कारोबारी बदरुद्दीन अजमल की अगुवाई में एआईयूडीएफ मुख्यत: मुसलिम अल्पसंख्यकों के समर्थन के कारण निचले असम और बराक घाटी में एक सीट पर जीत हासिल कर पाई। उन्होंने कहा कि इसे चुनावी गठबंधन के तौर पर देखा जा सकता है, लेकिन इसका मकसद सांप्रदायिकता से निपटना है जो देश के धर्मनिरपेक्ष ताने बाने को नुकसान पहुंचा रहा है।

गोगोई ने कहा कि इस तरह की संभावनाएं कम हैं, बहरहाल वह सांप्रदायिकता के खिलाफ सभी ताकतों को साथ लाने की कोशिश करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बहुत तेजी से अपनी लोकप्रियता खो रहे हैं और अगले साल निर्धारित चुनाव में भाजपा की बहुत ‘धूमिल संभावना’ है।