बिहार में चल रही SIR एक्सरसाइज का विपक्षी दल लगातार विरोध कर रहे हैं। विपक्षी दलों की तरफ से लगातार चुनाव आयोग पर बीजेपी की मदद के आरोप लगाए जा रहे हैं। अब हैदराबाद के सांंसद असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर SIR विरोध करते हुए बीजेपी पर बड़ा आरोप लगाया है।

उन्होंने कहा कि भारत में दलित और मुसलमान सबसे गरीब हैं। उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि अगर इनका नाम शामिल नहीं किया गया, तो कल यही भाजपा कहेगी कि ये लोग देश के नागरिक नहीं हैं। उन्होंने आगे कहा कि SIR गरीब समुदाय के लिए सबसे मुश्किल काम है। हमें पार्टियों के बीच चल रही इन बेकार की बहसों से ज्यादा SIR की चिंता है।

कांग्रेस ने ‘वोट चोरी’ पर वीडियो जारी किया

कांग्रेस ने वोटर लिस्ट में कथित ‘धांधली’ के खिलाफ अपने अभियान को तेज करते हुए बुधवार को एक वीडियो जारी कर लोगों से इससे जुड़ने की अपील की और चुनाव आयोग को ‘इलेक्शन चोरी आयोग’ करार दिया।

मुख्य विपक्षी दल ने अपने विभिन्न सोशल मीडिया हैंडल के माध्यम से जो एक मिनट का वीडियो जारी है उसमें दिखाया गया कि दो लोग एक मतदान केंद्र से बाहर निकलते हैं और वहां पहुंचे एक बुजुर्ग पुरुष और एक महिला से कहते हैं वे वापस चले जाएं क्योंकि वो उनका वोट पहले ही डाल चुके हैं।

इस वीडियो में चुनाव आयोग के लिए ‘इलेक्शन चोरी’ आयोग लिखा गया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक वीडियो साझा करते हुए X पर पोस्ट किया, “मत छीनने दीजिए अपना वोट का अधिकार, सवाल कीजिए, जवाब मांगिए, इस बार। ‘वोट चोरी’ के खिलाफ आवाज़ उठाइए, संवैधानिक संस्थानों को भाजपा के चंगुल से छुड़ाइए।”

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SIR पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि बिहार में पहले किए गए वोटर लिस्ट के संक्षिप्त पुनरीक्षण में दस्तावेजों की संख्या सात थी और SIR में यह 11 है, जो दर्शाता है कि SIR मतदाता अनुकूल है।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने बिहार में SIR आयोजित करने के निर्वाचन आयोग के 24 जून के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई फिर से शुरू की और कहा कि याचिकाकर्ताओं की इस दलील के बावजूद कि आधार को स्वीकार न करना अपवादात्मक था, ऐसा प्रतीत होता है कि दस्तावेजों की बड़ी संख्या ‘वास्तव में समावेशी’ थी।

बेंच ने कहा, “राज्य में पहले किए गए संक्षिप्त पुनरीक्षण में दस्तावेजों की संख्या सात थी और SIR में यह 11 है, जो दर्शाता है कि यह मतदाता अनुकूल है। हम आपकी दलीलों को समझते हैं कि आधार को स्वीकार न करना अपवादात्मक है, लेकिन दस्तावेजों की अधिक संख्या वास्तव में समावेशी स्वरूप की है।”

शीर्ष अदालत ने कहा कि मतदाताओं को सूची में शामिल 11 दस्तावेजों में से कोई एक जमा करना आवश्यक था। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने असहमति जताई और कहा कि दस्तावेजों की संख्या भले ही अधिक हो, लेकिन उनका कवरेज कम है।

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