जमीयत उलेमा-ए-हिंद प्रमुख महमूद मदनी ने शनिवार (11 फरवरी) को कहा कि यह भूमि मुसलमानों की भी मातृभूमि है। उन्होंने कहा कि यह कहना कि इस्लाम एक ऐसा धर्म है जो बाहर से आया है, सरासर गलत और निराधार है। इस्लाम सभी धर्मों में सबसे पुराना धर्म है। हिंदी मुसलमानों के लिए भारत सबसे अच्छा देश है।
यह देश जितना मोदी और भागवत का उतना ही महमूद का भी
महमूद मदनी ने कहा, “भारत हमारा देश है। यह देश जितना नरेंद्र मोदी और मोहन भागवत का है, उतना ही यह देश महमूद का भी है। न महमूद उनसे एक इंच आगे हैं और न वे महमूद से एक इंच आगे हैं।” जमीयत उलेमा-ए-हिंद प्रमुख का यह बयान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के उस बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने शुक्रवार को कहा था कि भारत को ‘विश्व गुरु’ बनाने के लिए देश में सभी लोगों को सामूहिक रूप से काम करना होगा। मौलाना महमूद असद मदनी ने कहा, “हम RSS और उसके सर संघचालक को न्योता देते हैं, आइए आपसी भेदभाद व दुश्मनी को भूलकर एक दूसरे को गले लगाए और देश को दुनिया का सबसे शक्तिशाली मुल्क बनाए। हमें सनातन धर्म के फ़रोग़ (रोशनी) से कोई शिकायत नहीं है,आपको भी इस्लाम के फ़रोग़ से कोई शिकायत नहीं होनी चाहिए।”
भारत में बढ़ रहा है इस्लामोफोबिया
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कहा कि मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत बढ़ रही है। हाल के दिनों में इस्लामोफोबिया काफी बढ़ गया है। मदनी ने मांग की कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा भड़काने वालों को दंडित करने के लिए एक अलग कानून बनाया जाए। उन्होंने यह बातें जमीयत के महाधिवेशन में कहीं। यह महाधिवेशन अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी की अध्यक्षता में शुक्रवार को रामलीला मैदान में शुरू हुआ। महाधिवेशन का पूर्ण सत्र रविवार को आयोजित होगा।
सरकार खामोश है- महमूद मदनी
संगठन ने देश में बढ़ते नफरती अभियान और इस्लामोफोबिया में बढ़ोतरी समेत कई प्रस्तावों को पारित किया। जमीयत ने आरोप लगाया, “देश में इस्लामोफोबिया और मुसलमानों के खिलाफ नफरत और उकसावे की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। सबसे दुखद बात यह है कि यह सब सरकार की आंखों के सामने हो रहा है लेकिन वह खामोश है। मदनी ने कहा कि इस्लाम भारत का ही मजहब है और सारे मजाहिद और सारे धर्मों में सबसे पुराना मजहब है। इस्लाम के आखिरी पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इसी दिन को मुकम्मल करने के लिए तशरीफ लाए थे।