West Bengal School Jobs Case: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में बर्खास्त किए गए टीचर्स से मुलाकात की है। ममता बनर्जी ने कहा कि यह न समझें कि हमने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार कर लिया है। हम पत्थर दिल नहीं हैं और ऐसा कहने के लिए मुझे जेल भी हो सकती है, लेकिन मुझे परवाह नहीं है।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट को साफ करना चाहिए कि कौन योग्य है और कौन नहीं। हमें लिस्ट दीजिए। एजुकेशन सिस्टम को बर्बाद करने का किसी को अधिकार नहीं है। भारतीय जनता पार्टी शासित मध्य प्रदेश में व्यापम मामले में इतने लोग मारे गए। उन्हें आज तक न्याय नहीं मिला। नीट में कई आरोप सामने आए। सुप्रीम कोर्ट ने परीक्षा रद्द नहीं की। बंगाल को क्यों निशाना बनाया जा रहा है? हम जानना चाहते हैं। आप बंगाल की प्रतिभा से डरे हुए हैं।’

एजुकेशन सिस्टम को बर्बाद करने की साजिश चल रही – सीएम बनर्जी

सीएम बनर्जी ने कहा, ‘एजुकेशन सिस्टम को बर्बाद करने की साजिश चल रही है। 9वीं, 10वीं, 11वीं, 12वीं क्लास के टीचर हाईयर एजुकेशन के लिए एंट्री गेट हैं। कई टीचर्स गोल्ड मेडल विजेता हैं। उन्होंने अपनी जिंदगी में बेहतरीन नतीजे हासिल किए हैं और आप उन्हें चोर कह रहे हैं। आप उन्हें अक्षम कह रहे हैं, आपको यह अधिकार किसने दिया? कौन यह खेल खेल रहा है।’ उन्होंने कहा कि हम कोई रास्ता निकालेंगे और आपके साथ खड़े होंगे। दो महीने तक कष्ट सहें, आपको 20 साल तक कष्ट नहीं सहना पड़ेगा और मैं उन दो महीनों का भी मुआवजा दूंगी। आपको भीख नहीं मांगनी पड़ेगी।

SC के फैसले के बाद अपनी नौकरी गंवाने वाली यास्मीन बोलीं – हमें दीदी से बहुत उम्मीद

मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बंधी – ममता बनर्जी

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि स्कूली नौकरियों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बंधी हूं, लेकिन स्थिति को सावधानी और निष्पक्षता से संभालने के लिए सक्रिय कदम उठा रही हूं। ममता बनर्जी ने कहा कि मेरा नाम ऐसी चीज में घसीटा जा रहा है जिसके बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग द्वारा 2016 में भर्ती किए गए 25,000 से ज्यादा टीचर्स और स्कूल कर्मचारियों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। इन भर्तियों में खामियां पाईं गई थीं। कानूनी मिसालों का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि यह एक ऐसा मामला है, जिसमें पूरी चयन प्रक्रिया दूषित और दागदार हो गई है। इसका कोई भी समाधान नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से प्रभावित बंगाल के शिक्षक काम पर लौटे