दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस समय दिल्ली में हुए कथित शराब घोटाले से जुड़े मामले में जेल में हैं। बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी के मामले को लेकर सुनवाई की गई। हाईकोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है। हाईकोर्ट अब इस मामले में 27 जुलाई को सुनवाई करेगा। अरविंद केजरीवाल की तरफ से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनुसिंघवी केजरीवाल की पैरवी कर रहे हैं।

अपनी तरफ से दिल्ली हाई कोर्ट में दलीलें रखते हुए अभिषेक मनुसिंधवी ने कहा कि सीबीआई द्वारा केजरीवाल की गिरफ्तारी जरूरी नहीं थी। उन्होंने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने हमें 20 जून को PMLA के तहत रेगुलर बेल दी थी और उसके चार दिन बाद सीबीआई ने मुझसे न्यायिक हिरासत में पूछताछ करने का आदेश लिया और 26 जून को मुझे गिरफ्तार कर लिया।

उन्होंने कहा कि मुझे इसको लेकर कभी भी एप्लिकेशन की कॉपी नहीं मिली। न ही कोई नोटिस दिया गया, ऑर्डर पास कर दिया गया। मेरी सुनवाई नहीं हुई।

सुनवाई के दौरान अभिषेक मनुसिंधवी ने कोर्ट में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हाल ही में इमरान खान को रिलीज कर दिया गया था लेकिन उन्होंने दूसरे मामले में दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया। यह हमारे देश में नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने सीबीआई के प्रोडक्शन वारंट जारी करने के आवेदन को स्वीकार कर लिया, जबकि जांच एजेंसी ने 25 जून को लगभग 3 घंटे तक उनसे पूछताछ की थी।

केजरीवाल के पक्ष में सिंधवी ने दी ये दलीलें

उन्होंने आगे कहा कि उसके बाद एक साल पुराने समन पर बिना कोई कारण बताए अब वो सेक्शन 41 लगाना चाहते हैं। यह बताने का कोई प्रयास नहीं किया गया है कि कैसे, कब और कौन सी गिरफ्तारी हुई। वो आगे कहते हैं कि जून 25 को एप्लिकेशन बढ़ाई जाती है और ऑर्डर पास हो जाता है। थैंक गॉड फॉर स्मॉल मर्सी, अगले दिन मुझे ऑर्डर मिल जाता है। इस तरह से ट्रायल कोर्ट काम कर रही हैं।

लाइव लॉ के अनुसार, केजरीवाल के पक्ष में दलीलें रखते हुए अभिषक मनुसिंघवी हाईकोर्ट से कहा हैं- मान लीजिए मैं कहता हूं कि 100 करोड़ देखने का सवाल ही नहीं उठता, मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता तो वे कहते हैं कि कोई संतोषजनक जवाब नहीं।

वह आगे कहते हैं – अगर वो कहते हैं कि मुझे नहीं पता तो मैं जवाब नहीं दूंगा… यह ‘स्टार चैंबर एप्रोच’ है। मैं जानबूझकर एक उदाहरण दे रहा हूं। क्या वे कह सकते हैं कि अगर आप इस तरह जवाब देंगे तो मैं आपको गिरफ्तार कर लूंगा।

अभिषेक मनुसिंघवी ने कोर्ट से कहा – सिर्फ स्पष्टीकरण यह है कि कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया जाता है। जिस समय मैं कहता हूं कि मैं निर्दोष हूं, यह एक टालमटोल वाला जवाब है। यह पूछताछ करने वाले का सब्जेक्टिव दृष्टिकोण नहीं है। अंत में जज तय करेंगे कि क्या सच है। किसका सच? मेरा जवाब सच या आपकी इच्छा सच?

वो हाई कोर्ट से कहते हैं- 12 घंटे या उससे कम समय में, उसे कैसे गिरफ्तार किया जाना चाहिए? क्यों? कोई जवाब नहीं। गिरफ्तारी की अनुमति देने के लिए निवेदन किया जाता है। यह कानून को पता नहीं है। जज को इसपर रिएक्ट करना चाहिए…क्योंकि अगर आप अनुमति देते हैं और कहते हैं कि जाओ और उसे गिरफ्तार करो, तो यह वैध है, बाकी सब चलता है।

‘मुझे छोड़ सभी को मिल रही बेल’

अभिषेक मनुसिंधवी ने कोर्ट में कहा कि – विडंबना यह है कि मेरी पार्टी का नाम आम आदमी पार्टी (आप) है, सभी को जमानत मिल रही है, लेकिन मुझे नहीं… उन्होंने यह भी दलील दी कि सोते समय ब्लड शुगर गिरकर 50 तक पहुंच गया है। यह चिंता का विषय है। आदमी के सोते समय ब्लड शुगर गिरना काफी खतरनाक है। हो सकता है आदमी उठे ही न। कृपया समग्र दृष्टिकोण अपनाएं, सामान्य ज्ञान पर आधारित दृष्टिकोण अपनाएं। तीन आदेश पहले ही मेरे पक्ष में आ चुके हैं।

CBI ने क्या दलीलें दीं?

सीबीआई के स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर डीपी सिंह ने अपनी दलीलें पेश करते हुए कहा कि जहां तक ​​आरोपी का सवाल है, तो उन्हें सभी विशेषाधिकार और अधिकार प्राप्त हैं। जांच एजेंसी के पास विशेषाधिकार बहुत कम हैं।

उन्होंने ये भी कहा- वह मुख्यमंत्री हैं। एक्साइज पॉलिसी एक्साइज मिनिस्टर के अंडर में होने की वजह से उनकी भूमिका स्पष्ट नहीं थी। लेकिन जब प्रासंगिक था, तो उन्हें बुलाया गया।

डीपी सिंह ने कोर्ट से यह भी कहा कि आज तक ऐसा कोई ऑब्जर्वेशन नहीं है कि सीबीआई ने अति उत्साही होकर काम किया हो या उसने कोई ऐसा काम किया हो जिससे किसी कानून का उल्लंघन हुआ हो। आज तक सीबीआई ने ऐसा कोई काम नहीं किया है जिसे असंवैधानिक कहा जा सके। वह एक लोक सेवक हैं। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17 के तहत जांच करने के लिए अनुमति की आवश्यकता होती है। यह कहना है कि जनवरी में मेरे पास मगुंटा रेड्डी का बयान था, अप्रैल में मुझे मंजूरी मिल गई…सीबीआई में एक तंत्र है।

उन्होंने आगे कहा- मुझे अनुमति लेने करने में 1 साल क्यों लगे, यह किसी का काम नहीं है। वह एक सीएम हैं। एक जांच अधिकारी अकेले कोई निर्णय नहीं ले सकता। हमें सारी सामग्री एकत्र करने में 3 महीने लगे। ऐसा नहीं है कि हमने कुछ नहीं किया। हम उनका रोल डिटेल में डिस्कस करेंगे। यह इतना भी आम नहीं है।