अधिकारों की लड़ाई दिल्ली में लगातार जारी है और अब इसका असर दूसरे कामों पर भी पड़ने लगा है। इसी वजह से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने नीति आयोग की मीटिंग में जाने से मना कर दिया है। उनकी तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी भी लिखी गई है,उसमें उनकी तरफ से दो टूक कहा गया है कि जिस देश में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी पालन नहीं होता हो, वहां किसी भी बैठक में हिस्सा लेने का क्या फायदा।
मोदी सरकार से नाराज केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने अपनी चिट्ठी में लिखा कि जब पीएम ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नहीं मानते, तो न्याय के लिए लोगों को कहां जाना होगा। पीएम गैर बीजेपी सरकारों को काम करने दें। अभी तो सहकारी संघवाद को एक मजाक बना दिया गया है, उस स्थिति में नीति आयोग की मीटिंग जाने का कोई मतलब नहीं। चिट्ठी में सीएम ने अधिकारों की लड़ाई को लेकर चल रहे विवाद पर भी विस्तार से बात की।
क्या है अधिकारों की लड़ाई?
सीएम ने कहा कि इस समय दिल्ली में अगर कोई अधिकारी काम ना करें तो क्या उसे हटा भी नहीं सकते। इस तरह से काम कैसे किया जाएगा। आप दिल्ली सरकार को पंगु क्यों बनाना चाहते हैं, क्या भारत के लिए आपका यहीं विजन है? सीएम ने अपनी चिट्ठी में कई बार इस बात का जिक्र किया है कि मोदी सरकार उन्हें काम नहीं करने दे रही। अब जानकारी के लिए बता दें कि कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश दिया था जिसमें साफ कहा गया कि अफसरों की पोस्टिंग और ट्रांसफर का हक दिल्ली सरकार के पास रहेगा।
केजरीवाल का एक्शन प्लान क्या?
लेकिन उस आदेश के खिलाफ ही केंद्र सरकार एक अध्यादेश लेकर आई जिसमें कहा गया कि ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए तीन लोगों की एक टीम बनाई जाएगी। इसमें सीएम को भी शामिल किया गया, लेकिन अंतिम फैसला एलजी ही लेने वाले हैं। इसी वजह से एक बार फिर विवाद की स्थिति बन गई और टकरार देखने को मिल रहा है। अभी के लिए सीएम अरविंद केजरीवाल इस मुद्दे पर पूरे विपक्ष को एकजुट करने का काम कर रहे हैं। इसी कड़ी में उन्होंने ममता बनर्जी से लेकर नीतीश कुमार तक से मुलाकात कर रखी है।