आबकारी नीति मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को ED ने गिरफ्तार किया। प्रवर्तन निदेशालय ने एक्साइज पॉलिसी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गुरुवार रात दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया। दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा AAP के राष्ट्रीय संयोजक को एजेंसी की किसी कार्रवाई से राहत देने से इनकार करने के कुछ ही घंटों बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया। इस बीच द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक,मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से विपक्षी नेताओं के खिलाफ ED के मामले बढ़े हैं।

इस बीच सितंबर 2022 में द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा के पहली बार सत्ता में आने के बाद से यूपीए शासन की तुलना में नेताओं के खिलाफ ईडी के मामलों में चार गुना वृद्धि हुई थी। यह रिपोर्ट अदालत के रिकॉर्ड, एजेंसी के बयानों और ईडी द्वारा बुक किए गए, गिरफ्तार किए गए, छापे या पूछताछ किए गए नेताओं की रिपोर्ट के अध्ययन पर आधारित है।

ED के 95% मामले विपक्षी नेताओं के खिलाफ

जांच से पता चला कि 2014 और 2022 के बीच 121 प्रमुख नेता ईडी जांच के दायरे में आए थे, जिनमें से 115 विपक्षी नेता थे। इन नेताओं पर मामला दर्ज किया गया, छापेमारी की गई, पूछताछ की गई या गिरफ्तार किया गया। यह कुल मामलों का 95% है। यह यूपीए शासन (2004 से 2014) के तहत एजेंसी द्वार बुक किए गए मामलों के बिल्कुल विपरीत था – जब एजेंसी द्वारा कुल 26 राजनेताओं की जांच की गई थी। इनमें से 14 विपक्षी नेता थे। यह कुल मामलों का आधे से अधिक (54%) ही था।

सितंबर 2022 में इंडियन एक्सप्रेस द्वारा रिपोर्ट प्रकाशित करने के बाद से अन्य विपक्षी नेता ईडी के रडार पर आ गए हैं। इसमें दिल्ली के तत्कालीन डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया (मार्च 2023) भी शामिल हैं, जिन्हें दिल्ली शराब नीति मामले में गिरफ्तार किया गया था। इसी मामले में केजरीवाल को गुरुवार को गिरफ्तार किया गया था। झामुमो नेता हेमंत सोरेन (जनवरी 2024), जिन्होंने अपनी गिरफ्तारी से ठीक पहले झारखंड के मुख्यमंत्री का पद छोड़ दिया था। इसके अलावा तेलंगाना के पूर्व सीएम के चंद्रशेखर राव की बेटी और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) नेता के कविता (मार्च 2024 में) भी दिल्ली शराब नीति मामले में आरोपों का सामना कर रही हैं।

ED पर कई बार लगे हैं आरोप

ईडी मामलों में बढ़ोत्तरी के लिए मुख्य रूप से पीएमएलए को जिम्मेदार ठहराया गया है। यह कानून कड़ी जमानत शर्तों के साथ अब एजेंसी को गिरफ्तारी और कुर्की करने की शक्तियां प्रदान करता है। विपक्ष ने ईडी के मुद्दे को संसद में कई बार उठाया है और आरोप लगाया है कि एजेंसी द्वारा उन्हें असंगत तरीके से निशाना बनाया जा रहा है। यह एक ऐसा आरोप है जिसका सरकार और ईडी ने दृढ़ता से खंडन किया है। एजेंसी के अधिकारियों का भी कहना है कि इसकी कार्रवाई गैर-राजनीतिक है और अन्य एजेंसियों या राज्य पुलिस द्वारा पहले दर्ज किए गए मामलों से पैदा होती है।

2014 और सितंबर 2022 के बीच ईडी के दायरे में आये विपक्ष के नेताओं का पार्टीवार विवरण इस प्रकार है- कांग्रेस 24, टीएमसी 19, एनसीपी 11, शिवसेना 8, डीएमके 6, बीजेडी 6, राजद 5, बसपा 5, एसपी 5, टीडीपी 5, AAP 3, INLD 3, YSRCP 3, CPM 2, NC 2, PDP 2, Ind 2, AIADMK 1, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना 1, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी 1 और BRS 1

भाजपा में शामिल होने के बाद केस में नहीं हुई कोई प्रगति

यूपीए के तहत, यह सीबीआई ही थी जिस पर कांग्रेस के संभावित सहयोगियों जैसे कि सपा और बसपा के खिलाफ मामले शुरू करने और फिर उनका समर्थन हासिल होने के बाद धीमी गति से काम करने का आरोप लगाया गया था। NDA-II के तहत, ईडी पर पाला बदलने वाले विपक्षी राजनेताओं के खिलाफ मामलों पर धीमी गति से काम करने का आरोप लगाया गया है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा पर 2014 और 2015 में सारदा चिट फंड घोटाले को लेकर सीबीआई और ईडी द्वारा जांच की गई थी, जब वह कांग्रेस का हिस्सा थे। 2014 में सीबीआई ने उनके घर और दफ्तर पर छापेमारी की थी और उनसे पूछताछ भी की थी। हालांकि, उनके भाजपा में शामिल होने के बाद मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है।

इसी तरह, नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में पूर्व टीएमसी नेता सुवेंदु अधिकारी और मुकुल रॉय को सीबीआई और ईडी ने जांच के दायरे में रखा था। अधिकारी और रॉय 2017 में पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए थे, जिसके बाद उनके खिलाफ मामलों में कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं देखी गई है।

गांधी परिवार के खिलाफ भी दर्ज है मामला

ED गांधी परिवार के खिलाफ मामले बनाने में भी सबसे आगे रही है। दिल्ली की एक अदालत द्वारा भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की शिकायत पर संज्ञान लेने के बाद राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को नेशनल हेराल्ड मामले में जांच का सामना करना पड़ रहा है। एजेंसी ने सबसे पहले सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा से जुड़ी कंपनी पर छापा मारा था और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनसे कई बार पूछताछ की थी। इसके अलावा, एजेंसी ने एयरसेल मैक्सिस मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति के खिलाफ कार्रवाई की है।

एनडीए-2 के तहत, कमल नाथ सहित प्रमुख कांग्रेस राजनेताओं के कम से कम छह रिश्तेदारों और परिवार के सदस्यों को जांच के दायरे में रखा गया है। इस सूची में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी सहित एक दर्जन से अधिक प्रमुख टीएमसी राजनेता भी शामिल हैं। साथ ही एनसीपी और शिवसेना के नेता भी हैं। एजेंसी पांच भाजपा राजनेताओं की भी जांच कर रही है, जिनमें कर्नाटक के खनन कारोबारी गली जनार्दन रेड्डी और राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया के बेटे दुष्यंत सिंह भी शामिल हैं।

ये भाजपा नेता भी हैं रडार पर

यूपीए शासन के दौरान, ईडी की जांच के दायरे में प्रमुख भाजपा राजनेताओं में भाजपा के गली जनार्दन रेड्डी, लक्ष्मीकांत शर्मा (व्यापम मामला) और कर्नाटक के पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा शामिल थे। इस सूची में टीएमसी राजनेता सुदीप बंदोपाध्याय (रोज वैली चिटफंड मामला), कुणाल घोष, सृंजय बोस, मदन मित्रा, अर्पिता घोष, मुकुल रॉय और तापस पॉल (सारदा मामला) भी शामिल हैं।

यूपीए के तहत, ईडी ने महाराष्ट्र के पूर्व सीएम अशोक चव्हाण (आदर्श आवास मामला), सुरेश कलमाड़ी (राष्ट्रमंडल खेल मामला) और नवीन जिंदल (कोयला ब्लॉक मामला) जैसे कांग्रेस राजनेताओं के खिलाफ कार्रवाई की। एजेंसी ने यूपीए सहयोगी डीएमके के ए राजा और कनिमोझी (2G मामला), दयानिधि मारन और कलानिधि मारन (एयरसेल-मैक्सिस मामला) के खिलाफ भी कार्रवाई की।

ED ने राजनीतिक पूर्वाग्रह के आरोप से किया इनकार

जब द इंडियन एक्सप्रेस ने उस समय विपक्ष के खिलाफ रुख के बारे में स्पष्टीकरण मांगा तो ईडी ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। एजेंसी के एक अधिकारी ने कहा, “ईडी आखिरी एजेंसी है जिस पर आप राजनीतिक पूर्वाग्रह का आरोप लगा सकते हैं क्योंकि यह अपने आप मामले दर्ज नहीं कर सकती है। किसी राजनेता पर राज्य पुलिस या किसी केंद्रीय एजेंसी द्वारा मामला दर्ज किए जाने के बाद ही ईडी मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज कर सकता है। हम कई बीजेपी नेताओं की भी जांच कर रहे हैं। मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद गली जनार्दन रेड्डी के खिलाफ एक नया मामला शुरू किया गया।

अधिकारी ने कहा, “इसके अलावा, हम उचित जांच के बाद मामले दर्ज करते हैं। हमारी सभी चार्जशीटों पर अदालतें संज्ञान ले रही हैं। आरोपी जमानत पाने में असमर्थ हैं क्योंकि अदालतें उनकी बेगुनाही को लेकर आश्वस्त नहीं हैं।”