पूर्व प्रधानमंत्री और भारतीय राजनीति के पुरोधा अटल बिहारी वाजपेयी हमेशा से ही अपनी भाषण शैली और अपनी ओजपूर्ण वाणी के लिए पहचाने जाते रहेंगे। लेकिन कई बार ऐसा भी हुआ, जब अटल बिहारी वाजपेयी ने बहुत ही कम शब्दों में अपनी बात खत्म कर दी और उनका असर उम्मीद से कहीं ज्यादा हुआ। ऐसा ही एक वाक्या है जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे और भाजपा महाराष्ट्र में एक चुनाव हार गई थी, जबकि उस चुनाव में भाजपा की स्थिति काफी मजबूत थी और पार्टी चुनाव जीतने की स्थिति में थी। इसके बाद वाजपेयी जी ने हार के कारणों पर चर्चा के लिए तुरंत शीर्ष नेताओँ की एक बैठक बुलायी। बैठक के दौरान सभी नेता बारी-बारी से अपनी बात रख रहे थे। एनडीटीवी के साथ बातचीत में उस बैठक को याद करते हुए पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण शौरी ने बताया कि उस बैठक में एक नेता ने पार्टी की हार का कारण शिवसेना द्वारा धोखेबाजी करने को बताया।

वहीं दूसरे नेता ने हार का कारण मुस्लिम वोटरों का पार्टी को समर्थन नहीं देना बताया। किसी अन्य नेता ने पार्टी के कमजोर संगठन को हार का जिम्मेदार ठहराया। अरुण शौरी ने बताया कि वाजपेयी जी ने सभी को शांति से सुना और उनके चेहरे पर एक हल्की मुस्कान आ गई। शौरी के अनुसार, माहौल काफी तनावपूर्ण था। इसके बाद अटल जी ने कहा कि “तो निष्कर्ष ये है कि यहां हार का कोई नया बहाना नहीं है….चलिए चाय पीते हैं।” शौरी ने बताया कि वाजपेयी जी के इतना कहते ही माहौल का तनाव खत्म हो गया, लेकिन साथ ही वाजपेयी जी ने पार्टी नेताओं को इन छोटे से वाक्य से ही सख्त संदेश भी दे दिया। अरुण शौरी वाजपेयी के काफी नजदीकी रहे। शौरी का कहना है कि वाजपेयी जी ऐसे नेता थे, जो लोगों से उनका सर्वश्रेष्ठ निकालने में माहिर थे। वाजपेयी जी कभी भी किसी से ईर्ष्या नहीं करते थे और ना ही कभी असुरक्षित महसूस करते थे।

अटल बिहारी वाजपेयी ने नेताओं को पूरी स्वतंत्रता दी। उन्हें अपनी टीम पर पूरा विश्वास था और वह अपने नेताओँ से ईमानदारी भरी सलाह की उम्मीद रखते थे। कैबिनेट की बैठक में सभी लोगों को अपनी बात रखने की आजादी थी। अटलजी ने भाजपा में नेतृत्व के सर्वोच्च स्टैंडर्ड कायम किए। बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का 93 वर्ष की उम्र में गुरुवार को दिल्ली के एम्स में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है। अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के चलते देश में 7 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है।