केंद्र ने आज कहा कि दिल्ली में शक्तियों के आवंटन संबंधी केंद्रीय गृह मंत्रालय की अधिसूचना से राष्ट्रीय राजधानी में शासन संबंधी सभी भ्रम दूर हो जाएंगे और आप सरकार को शहर को कुशलतापूर्वक चलाने में मदद मिलेगी।
केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि दिल्ली में शक्तियों के बंटवारे को लेकर उत्पन्न विवाद राजनीतिक नहीं बल्कि संवैधानिक मुद्दा है।
उन्होंने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘गृह मंत्रालय ने स्पष्टीकरण नोट जारी किया है…हम नहीं चाहते कि भ्रम के कारण दफ्तरों पर ताले लगें।’’
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा आज जारी एक राजपत्रित अधिसूचना में कहा गया है कि उपराज्यपाल के पास सेवा, लोक व्यवस्था, पुलिस और भूमि से जुड़े मामलों में क्षेत्राधिकार होगा और वह जरूरत पड़ने पर सेवाओं से जुड़े विषयों में वह अपने ‘‘विवेक’’ का उपयोग करते हुए मुख्यमंत्री से सलाह मशविरा कर सकते हैं।
अधिसूचना में कहा गया कि यह पूर्णत: स्थापित है कि जहां कोई विधायी शक्ति नहीं होती है, वहां कोई कार्यकारी शक्ति भी नहीं होती है क्योंकि कार्यकारी शक्ति विधायी शक्ति के साथ चलती है।
अधिसूचना के अनुसार, लोक व्यवस्था, पुलिस, भूमि और सेवा दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की विधानसभा के दायरे से बाहर है और इसलिए दिल्ली की एनसीटी सरकार के पास इन विषयों पर कोई कार्यकारी शक्ति नहीं है।
इसमें कहा गया कि भ्रष्टाचार निरोधक शाखा पुलिस थाना केंद्र सरकार की सेवाओं वाले अधिकारियों, कर्मचारियों और पदाधिकारियों के खिलाफ अपराधों पर संज्ञान नहीं लेगा।
उपराज्यपाल द्वारा बीते सप्ताह वरिष्ठ नौकरशाह शकुंतला गैमलिन को कार्यवाहक मुख्य सचिव नियुक्त करने से सत्तारूढ़ आप और उपराज्यपाल के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई थी और केजरीवाल ने उपराज्यपाल के अधिकार पर सवाल खड़े करते हुए उन पर प्रशासन पर नियंत्रण हासिल करने का प्रयास करने का आरोप लगाया।