जम्मू-कश्मीर के भारतीय गणराज्य में विलय होने के बाद विवादित आर्टिकल 370 को मोदी सरकार ने हटा दिया और लद्दाख तथा जम्मू-कश्मीर को यूनियन टेरिटरी का दर्जा दिया है। इस पहल पर जहां अधिकांश दलों ने समर्थन दिया है, वहीं कुछ दलों ने ‘आम राय’ नहीं बनाने का हवाला देकर इसका विरोध किया है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने मोदी सरकार के इस पहल को “बोल्ड स्टेप” बताया है। हालांकि, अगर पुराने दिनों की बात करें तो बतौर गृहमंत्री रहते हुए आडवाणी ने जम्मू-कश्मीर को बांटना के विरोध किया था।

जुलाई, 2002 में तत्कालीन उपप्रधानमंत्री एवं देश के गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने आरएसएस की उस मांग को खारिज कर दिया था, जिसमें जम्मू-कश्मीर को तीन हिस्सों में बांटने की बात कही गई थी। तब आडवाणी ने कहा था कि इस कदम से कश्मीर मुद्दे को लेकर भारत की स्थिति कमजोर पड़ जाएगी। तब पीटीआई के हवाले से छपी एक खबर के मुताबिक आडवाणी ने कहा था, “सरकार का नजरिया साफ है कि जम्मू-कश्मीर का कोई भी विभाजन नहीं होगा और न ही यह किसी ऐसे मसौदे का समर्थन किया जाएगा।

जुलाई 2002 में कुरुक्षेत्र में हुए आरएसएस के नेशनल एग्जिक्यूटिव मीटिंग में जम्मू-कश्मीर को तीन राज्यों जम्मू, लद्दाख और कश्मीर में विभाजित करने का रिजॉल्यूशन पारित किया गया था। इस कदम को लेकर आडवाणी ने कहा था, “सरकार राज्य की एकत और पूरे देश की अखंडता के लिए प्रतिबद्ध है।”
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