जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाने के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई में पांच जजों की बेंच ने 16 दिनों तक दोनों पक्षों की दलीलों को सुना। सरकार जहां 370 को हटाने का फैसला सही बताती रही वहीं दूसरे पक्ष के वकीलों का कहना था कि सरकार ने कश्मीर से 370 हटाकर संविधान के खिलाफ फैसला लिया। सीजेआई और बाकी के चार जजों ने माना कि मामले में जो भी दलीलें दी गईं उन पर संजीदगी से विमर्श की जरूरत है। लिहाजा फैसला सुरक्षित रखा जाता है।

मोदी सरकार ने 2019 में जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 को खत्म कर दिया था। केंद्र का कहना था कि सूबे के हालात सुधारने के लिए ये एक अहम कदम है। इस फैसले के बाद जम्मू कश्मीर के तमाम बड़े नेताओं को या तो कैद कर लिया गया था या फिर उनको नजरबंद कर दिया गया था। सरकार ने कश्मीर को दो हिस्सों में बांट दिया था। जम्मू कश्मीर से लद्दाख को अलग कर दिया गया था। दोनों जगहों पर केंद्र का शासन लागू किया गया था।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट में ये मामला कई बार मेंशन किया गया। लेकिन सुनवाई तीन साल बाद सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने की। सीजेआई ने इस दौरान तमाम पक्षों को सुना। हालांकि कुछ एक मौकों पर कपिल सिब्बल जैसे सीनियर वकीलों ने तेवर तीखे हुए पर कुल मिलाकर सुनवाई बेहतरीन रही।

संवैधानिक बेंच में जस्टिस संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत शामिल हैं। कोर्ट ने सुनवाई के अंतिम दिन कपिल सिब्बल, गोपाल सुब्रमण्यम, राजीव धवन, जफर शाह, दुष्यन्त दवे जैसे दिग्गज वकीलों की दलीलें सुनीं। शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि याचिकाकर्ताओं या प्रतिवादियों की ओर से पेश कोई वकील लिखित दलील दाखिल करना चाहता है तो वह अगले तीन दिन में ऐसा कर सकता है। लेकिन ये दो पेज से अधिक का नहीं होना चाहिए। पिछले 16 दिन में सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने केंद्र और हस्तक्षेपकर्ताओं की ओर से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, वरिष्ठ अधिवक्ताओं- हरीश साल्वे, राकेश द्विवेदी, वी गिरि को सुना।

अकबर लोन ने दिया हलफनामा, SC बोला- हम करेंगे इसका अध्ययन

पाकिस्तान के समर्थन में नारे से संबंधित विवाद के मामले में नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता मोहम्मद अकबर लोन ने उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दायर किया। सीजेआई की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि हम इसका अध्ययन करेंगे। लोन से बीते दिन हलफनामा मांगा गया था।