Article 370: जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 के प्रावधान हटाने संबंधी संकल्प मंगलवार को लोकसभा से भी पास हो गया। इसके साथ ही जम्मू कश्मीर विधानसभा के पूर्व स्पीकर निर्मल सिंह ने अपनी आधिकारिक कार से जम्मू कश्मीर का झंडा हटा दिया। इस तरह निर्मल सिंह राज्य का झंडा हटाने वाले पहले राजनेता बने। इस पर निर्मल सिंह का कहना है कि ‘जब हम सरकार में थे, तो हम राज्य का झंडा भारी मन से और संवैधानिक विवशता के चलते लहराते थे।’
जम्मू कश्मीर विधानसभा के पूर्व स्पीकर के अनुसार, ‘जैसे ही इस मामले में सरकार का नोटिफिकेशन आया, वैसे ही मैंने जम्मू कश्मीर का झंडा अपने आधिकारिक वाहन पर नहीं लहराने का फैसला किया।’ निर्मल सिंह ने कहा कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधान हटाने का सपना 70 साल पुराना था, जिसे श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित प्रेम नाथ डोगरा ने देखा था। निर्मल सिंह ने इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को दिया। हालांकि अभी जम्मू कश्मीर का झंडा हटाने का आधिकारिक आदेश नहीं आया है।
क्या है जम्मू कश्मी के झंडे का इतिहासः जम्मू कश्मीर में साल 1956 में अलग संविधान लागू किया गया था, जिसमें इसके अलग झंडे का भी प्रावधान किया गया था। जम्मू कश्मीर का झंडा लाल रंग का है, जिसे 13 जुलाई, 1931 में कश्मीर में हुए संघर्ष की याद में बनाया गया। इस दिन को जम्मू कश्मीर में शहीद दिवस के रुप में मनाया जाता रहा है।
बता दें कि साल 1931 में एक अफगान मूल के शख्स अब्दुल कादिर ने तत्कालीन महाराजा हरि सिंह के खिलाफ आवाज उठायी और राजा पर मुस्लिम जनता के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया। इस पर महाराजा हरि सिंह के आदेश पर अब्दुल कादिर को श्रीनगर की सेंट्रल जेल में डाल दिया गया। बताया जाता है कि अब्दुल कादिर के समर्थन में बड़ी संख्या में लोग सेंट्रल जेल पहुंच गए और वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों पर पथराव कर दिया। इस पर सुरक्षाकर्मियों ने भीड़ पर गोलीबारी कर दी, जिसमें 22 लोगों की मौत हो गई।
इस झंडे में 3 लाइनें हैं, जो कि तीन क्षेत्रों जम्मू, कश्मीर और लद्दाख का प्रतिनिधित्व करती हैं। झंडे पर एक हल का निशान है, जो कि राज्य के किसानों का प्रतिनिधित्व करता है। अब केन्द्र सरकार द्वारा आर्टिकल 370 के प्रावधान हटाए जाने के बाद राज्य के झंडे को लहराने की इजाजत नहीं होगी।