रिपब्लिक भारत पर डिबेट के दौरान रक्षा विशेषज्ञ रिटायर्ड मेजरल जनरल जीडी बख्शी ने कहा कि कोरोना वायरस चीन के लैब में चीनी सेना द्वारा बनाया गया वायरस है। इस वायरस को पूरी दुनिया के खिलाफ जैविक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया है।
मीडिया रिपोर्टों से इस तरह की जानकारी सामने आई है कि 2015 में कोरोना महामारी से पहले चीनी वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा लिखे गए एक दस्तावेज में कहा गया है कि एसएआरएस कोरोना वायरस एक नए तरह के जैविक हथियार हैं। जिसे इंसानों में रोग के रूप में पैदा किया जा सकता है। इसे एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। जेनेटिक बायोवैपन के रूप में पेपर में मैन-मेड वायरस का सुझाव दिया गया और कहा है कि विश्व युद्ध तीन को जैविक हथियारों से लड़ा जाएगा। दस्तावेज़ से पता चला कि चीनी सैन्य वैज्ञानिक कोविड-19 महामारी से पांच साल पहले कोरोना वायरस की एक हथियार के रूप में चर्चा कर रहे थे।
कोरोना चीन के लैब में पीएलए द्वारा बनाया गया वायरस है जिसे उसने पूरी दुनिया के खिलाफ जैविक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया हैः मेजर जनरल जीडी बख्शी (रि), रक्षा विशेषज्ञ
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ऑस्ट्रेलियाई रणनीतिक नीति संस्थान (ASPI) के कार्यकारी निदेशक, पीटर जेनिंग्स ने बताया, “मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है क्योंकि यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि चीनी वैज्ञानिक कोरोनोवायरस के विभिन्न वैरिएंट के सैन्य इस्तेमाल के बारे में सोच रहे थे और सोच रहे थे कि इसे कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है।”
उन्होंने यह भी कहा कि यह समझा सकता है कि चीन COVID -19 की उत्पत्ति में बाहरी जांच के लिए इतना अनिच्छुक क्यों है? साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ रॉबर्ट पोटर, जिन्होंने लीक हुए चीनी सरकारी दस्तावेजों का विश्लेषण किया है, का कहना है कि दस्तावेज निश्चित रूप से फर्जी नहीं है।
उन्होंने बताया, “हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि यह वास्तविक हैं … यह नकली नहीं है, लेकिन अभी इसकी व्याख्या करनी बाकी है कि यह कितना गंभीर है।” “यह पिछले कुछ वर्षों में उभरा है … वे (चीन) लगभग निश्चित रूप से इसे हटाने की कोशिश करेंगे अब इसे कवर किया गया है।”
पॉटर ने आगे कहा कि चीनी शोध पत्रों को उन क्षेत्रों पर चर्चा करते हुए देखना असामान्य नहीं है। उन्होंने कहा कि यह वास्तव में एक दिलचस्प लेख है जो यह दिखाता है कि उनके वैज्ञानिक शोधकर्ता क्या सोच रहे हैं।”