पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सभी राजनीतिक दल एक-दूसरे पर हमला बोल रहे हैं। जहां भाजपा लगातार तृणमूल कांग्रेस पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगा रही है, वहीं टीएमसी भी पलटवार में भाजपा को बाहरी पार्टी बताकर बंगाल में वोट पाने की कोशिश में है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक रैली के दौरान टीएमसी सांसद के उस बयान पर तंज कसा था, जिसमें उन्होंने ममता बनर्जी के वाराणसी जाने का जिक्र किया था। इस पर जब एक टीवी डिबेट में टीएमसी प्रवक्ता मनोजीत मंडल से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि पीएम मोदी अच्छा भाषण देते हैं, लेकिन वे झूठ बोलने में भी माहिर हैं।

दरअसल, आजतक के शो हल्ला बोल में एंकर चित्रा त्रिपाठी ने टीएमसी प्रवक्ता मनोजीत मंडल से पीएम मोदी के बयान का जिक्र करते हुए पूछा कि प्रधानमंत्री लगातार कह रहे हैं कि दीदी अगर काशी आती हैं तो वहां के लोग उनको बाहर नहीं जाने देंगे। ममता बनर्जी क्या वाराणसी जाने की तैयारी कर रही हैं, इसे लेकर पीएम ने तंज कसा है।

टीएमसी प्रवक्ता बोले- मोदी से बहुत आगे रही हैं दीदी: ममता इस पर टीएमसी प्रवक्ता ने कहा, “ममता जी काशी जरूर जाएंगे, लेकिन चुनाव लड़ने के लिए नहीं। ममता दीदी यहीं रहेंगी। वो दिल्ली भी जाएंगी और वहां जाकर राज भी करेंगी। वो बाद की बात है। ममता दीदी 1990 के बाद से मंत्री रही हैं। सबको पता है, ममता दीदी मोदी साहब से बहुत आगे से रही हैं।”

जब एंकर ने पूछा कि आपकी सांसद (महुआ मोइत्रा) फिर क्यों चुनौती देती हैं पीएम मोदी को और दीदी के बनारस जाने की बात कहती हैं? तो इस पर मनोजीत मंडल ने कहा कि ये मोदी साहब की रची हुई बातें हैं। हम क्या करें। वो बहुत अच्छे भाषण देते हैं। इतना अच्छा बोलते हैं कि झूठ भी बोलने लगते हैं। लोगों को भड़काया कैसे जाता है। ये एक आर्ट है। बहुत बड़े-बड़े नेता थे जर्मनी में, चीन में हैं अभी। उस तरह के लीडर बहुत अच्छे भाषण देते हैं।

‘दिल्ली से बैठकर बंगाल पर राज करोगे, इसी को बाहरी कहते हैं’: टीएमसी प्रवक्ता ने आगे कहा, “ममता दीदी जो मन में है सच कहती हैं। वो बातें एक तरह से लोगों से कनेक्ट होती हैं। ममता दीदी किसी को धोखा नहीं देतीं। भाजपा वाले विकास की बातें नहीं करते।” मंडल ने कहा, “अगर बाहर से आकर आप बंगाल पर राज करने की कोशिश करोगे। जिस तरह ब्रिटिश राज ने किया था। दिल्ली में बैठकर बंगाल के ऊपर राज करोगे। यहां का भाषा, संस्कृति न जानकर। इसी को हम बाहरी कहते हैं।”