पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी एक दिन पहले ही यास चक्रवात से हुई तबाही की समीक्षा बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ शामिल नहीं हुई थीं। अब इसे लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इतना ही नहीं ममता पीएम को रिसीव करने भी नहीं पहुंची थीं। ऐसे में उन पर ओछी राजनीति करने और प्रोटोकॉल तोड़ने के आरोप लग रहे हैं। हालांकि, इसके जवाब में सोशल मीडिया पर कुछ लोग 2013 के एक वाकये का भी जिक्र कर रहे हैं, जब मोदी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ओर से बुलाई गई एक मीटिंग में हिस्सा नहीं लिया था।

किस वाकये का हुआ जिक्र?: दरअसल, 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों के बाद मनमोहन सिंह ने नेशनल इंटिग्रेशन काउंसिल (NIC) की दिल्ली में एक बैठक बुलाई थी। इसमें देश में चल रहे संप्रदायिक तनाव पर चर्चा की जानी थी। हालांकि, तब गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी और छत्तीसगढ़ के सीएम रमन सिंह इस बैठक में नहीं पहुंचे थे। इस मीटिंग में हुई चर्चा में लगभग सभी पार्टियों ने भाजपा को मुजफ्फरनगर में हिंसा फैलाने का आरोपी ठहराया था। साथ ही भाजपा के विधायक संगीत सोम को भी घेरा था।

हालांकि, इसके बचाव में पक्ष देने वालों का मत है कि मनमोहन सिंह ने जब मुजफ्फनगर दंगों पर दिल्ली में बैठक बुलाई थी, तब यह मामला सिर्फ यूपी से ही जुड़ा था और अन्य राज्यों को सिर्फ एनआईसी में विचार रखने के लिए बुलाया गया था। जबकि पीएम मोदी एक आपदा से हुई तबाही का निरीक्षण करने खुद बंगाल पहुंचे थे। इसके बावजूद सीएम ने पहले उन्हें काफी देर तक इंतजार कराया और बाद में उनके साथ समीक्षा बैठक में शामिल नहीं हुईं।

तेलंगाना के मुद्दे पर चंद्रबाबू नायडू भी छोड़ गए थे पीएम की मीटिंग: बताया जाता है कि सितंबर 2013 में बुलाई गई उस बैठक में कई मुख्यमंत्री मौजूद थे। हालांकि, मीटिंग के दौरान ही एक चौंकाने वाली घटना भी हुई थी। तब आंध्र प्रदेश के बंटवारे और नए तेलंगाना राज्य बनाए जाने के मुद्दे पर तत्कालीन आंध्र सीएम चंद्रबाबू नायडू मीटिंग छोड़कर चले गए थे। नायडू का कहना था कि जब उन्होंने इस मुद्दे को उठाया था, तब यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उन्हें शांत कराया था और कहा था कि यह तेलंगाना पर चर्चा का मंच नहीं है।