राज्यसभा सदस्य अमर सिंह का सोमवार को दिल्ली के छतरपुर में परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों की उपस्थिति में अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार सुबह 11 बजकर 30 मिनट पर हुआ और सिंह की दोनों बेटियों ने चिता को मुखाग्नि दी। उनकी पत्नी पंकजा सिंह भी वहां मौजूद थी।

कोरोना वायरस की महामारी की चलते लागू नियमों की वजह से उनका अंतिम संस्कार सीमित लोगों की उपस्थिति में हुआ। सिंह का शनिवार को सिंगापुर में निधन हो गया था। वह सिंगापुर के अस्पताल में गत छह महीने से इलाज करा रहे थे। वर्ष 2013 में उनके गुर्दे का प्रतिरोपण भी हुआ था।

अमर सिंह का पार्थिव शरीर रविवार शाम को विशेष विमान से दिल्ली लाया गया था। राजनेताओं, परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों ने उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दी। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा के राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया और जया प्रदा उन लोगों में शामिल रहे जिन्होंने पूर्व समाजवादी पार्टी नेता के छतरपुर आवास जाकर सबसे पहले श्रद्धांजलि अर्पित की।

कौन हैं अमर सिंह?: उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में 27 जनवरी 1956 को जन्में अमर सिंह राज्यसभा सदस्य और पूर्व सपा नेता थे। वह 64 साल के थे और करीब छह महीनों से काफी बीमार थे। सिंगापुर में उनका इलाज चल रहा था, जबकि 2013 में उनका किडनी ट्रांसप्लांट का ऑपरेशन हुआ था।

उन्होंने पश्चिम बंगाल के कोलकाता में कांग्रेस के छात्र परिषद के युवा सदस्य के तौर पर सियासी करियर का आगाज किया था। वहां उनके परिवारिक व्यवसाय हुआ करता था। बाद में उनकी लुटियंस दिल्ली की राजनीति में एंट्री हुई। यहां आकर वह राजनीतिक प्रबंधन के जाने-माने चेहरा बने। कहा जाता है कि उन्होंने UPA-1 सरकार को 2008 में लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान SP का समर्थन दिलाने में अहम भूमिका अदा की थी।

सिंह का रुतबा न सिर्फ दिल्ली बल्कि लखनऊ, सैफई और मुंबई तक था। उद्योग जगत में उनके अच्छे खासे संपर्क थे। माना जाता है कि सिंह के चलते सपा को कभी ठीक-ठाक कॉरपोरेट मदद मिलती थी।