हैदराबाद विश्वविद्यालय और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के बाद अब इलाहाबाद विश्वविद्यालय विवाद के केंद्र में है। इसको लेकर विवाद मंगलवार (8 मार्च) को बढ़ गया जब आठ विपक्षी पार्टियों ने मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी पर निशाना साधते हुए विश्वविद्यालय के छात्र संघ अध्यक्ष को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया। उन्होंने ईरानी पर एबीवीपी के ‘संरक्षक संत’ की तरह कार्य करने का आरोप लगाया। कांग्रेस, वाम दलों और आप समेत अन्य पार्टियों ने एक संयुक्त वक्तव्य में कहा, ‘‘हम इस तथ्य को लेकर व्यथित हैं कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ की पहली महिला अध्यक्ष एवं पीएचडी छात्रा रिचा सिंह को प्रशासन प्रताड़ित कर रहा है।’’
भाकपा के महासचिव एस सुधाकर रेड्डी ने अलग से भाजपा-आरएसएस से इलाहाबाद विश्वविद्यालय से दूर रहने को कहा। उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस की छात्र शाखा एबीवीपी जेएनयू और एचसीयू को निशाना बनाने के बाद इसका भगवाकरण करने का प्रयास कर रही है और जो लोग परिसर में तनाव पैदा कर रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
जद (यू) के के सी त्यागी ने राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति के स्वेच्छाचारी रवैये का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि रिचा सिंह ने सभी सांसदों को उस मुद्दे और लैंगिक असंवेदनशीलता के मुद्दे पर पत्र लिखा है। उन्होंने कहा, ‘‘पहले हमने रोहित का बलिदान देखा, उसके बाद कन्हैया प्रकरण और अब रिचा सिंह प्रकरण प्रक्रिया में है।’’
हैदराबाद विश्वविद्यालय में दलित शोधार्थी रोहित वेमुला की आत्महत्या और कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी से संबंधित जेएनयू विवाद के बीच तुलना करते हुए आठ पार्टियों के नेताओं ने एक संयुक्त वक्तव्य में ईरानी पर निशाना साधा और उन्हें याद दिलाया कि वह पूरे देश की मंत्री हैं, न कि सिर्फ आरएसएस और भाजपा की।
जयराम रमेश और राजीव शुक्ला (कांग्रेस), सीताराम येचुरी (माकपा), डी राजा (भाकपा), के सी त्यागी (जद-यू), जावेद अली खान (सपा), तिरुचि शिवा (द्रमुक), भगवंत मान (आप) और जय प्रकाश यादव (राजद) बयान पर हस्ताक्षरकर्ता हैं। उन्होंने कहा, ‘‘शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता लोकतंत्र की आधारशिला है, इस बात को समझने से इंकार करने वाली सरकार परिसरों में एबीवीपी की गुंडागर्दी का ढिठाई से समर्थन करके व्यापक असंतोष का बीज बो रही हैं।’’
रिचा सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीती थी और शेष सभी सीटों पर एबीवीपी के कब्जा करने की बात पर गौर करते हुए नेताओं ने दावा किया कि वह कैंपस में भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ की यात्रा का विरोध करके आंखों की किरकिरी बनी हुई थीं।
उन्होंने कहा, ‘‘एबीवीपी के सदस्यों ने कथित तौर पर प्रदर्शनकारियों पर हमला किया लेकिन हमले की जांच के बजाय रिचा सिंह के ऊपर ही जांच बिठा दी गई। अब तकनीकी आधार पर कुलपति की ओर से उनके दाखिले को अमान्य करार देने की कोशिश हो रही है जो एबीवीपी के खिलाफ आखिरी कांटे से छुटकारा पाने जैसा लगता है।’’ पार्टियों ने कहा, ‘‘हम इस बात से भयभीत हैं कि विश्वविद्यालय प्रशासन एबीवीपी से अलग राय रखने वाले छात्रों को प्रताड़ित कर रहा है।’’
मानव संसाधन विकास मंत्री पर एबीवीपी के ‘संरक्षक संत’ की तरह कार्य करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हम उन्हें याद दिलाना चाहते हैं कि वह इस विशाल, विविधतापूर्ण देश की मंत्री हैं, न कि सिर्फ आरएसएस और भाजपा की।’’
वक्तव्य में कहा गया है, ‘‘यह उनकी जिम्मेदारी है कि वह विश्वविद्यालय परिसरों में सभी संवैधानिक स्वतंत्रताओं को प्रोत्साहन दें और उनकी रक्षा करें। अगर रिचा सिंह को रोहित वेमुला और कन्हैया कुमार की तर्ज पर एबीवीपी के फरमान का शिकार बनाया गया तो इस देश के छात्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।’’