राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में सेंध लगाने का अजित का प्लान काफी पहले तैयार हो गया था। उन्होंने रविवार को डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी। लेकिन उससे दो दिन पहले ही उनकी तरफ से एक चिट्ठी चुनाव आयोग को भेजी गई थी। अजित ने इसमें दावा किया था कि वो ही असली NCP हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक 30 जून को उन्होंने चुनाव आयोग को पत्र लिखा था। आयोग से जुड़े एक शख्स ने बताया कि अजित का कहना था कि वो राकांपा से अलग हो चुके हैं। संख्या बल के लिहाज से उनके साथ मौजूद ही असली दल है। इसे आयोग मान्यता दे। उसके बाद बुधवार को भी चुनाव आयोग को एक चिट्ठी मिली थी। इसमें 40 सांसदों, विधायकों और MLC के दस्तखत वाले हलफनामे थे, जो राकांपा से जुड़े हैं। इसके अलावा आयोग को एक पत्र और भी मिला था। इसमें कहा गया था कि राकांपा के अध्यक्ष अब अजित पवार ही हैं।
पवार गुट की तरफ से भी चुनाव आयोग को भेजी गई है चिट्ठी
उधर, चुनाव आयोग को राकांपा के सूबा अध्यक्ष जयंत पाटिल की तरफ से भी एक ईमेल 3 जुलाई को भेजा गया। उन्होंने इसमें आयोग के समक्ष एक कैविएट दाखिल की थी। इसके अलावा भी जयंत पाटिल ने एक चिट्ठी चुनाव आयोग को भेजी थी। इसमें कहा गया था कि राकांपा से बगावत करने वाले 9 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की कार्यवाही की जा रही है। महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर के सामने ये मामला रखा गया है।
आयोग बोला- दोनों धड़ों के दावों की कर रहे पड़ताल
चुनाव आयोग की तरफ से बताया गया कि दोनों धड़ों की तरफ से जो चिट्ठियां उनको मिली हैं उनकी पड़ताल की जा रही है। आयोग कानून के हिसाब से जो भी वाजिब कदम होगा उठाएगा। आयोग सारे मामले पर बारीकी से नजर रख रहा है। गौरतलब है कि राकांपा के चीफ शरद पवार ने कुछ अरसा पहले ही अपनी बेटी सुप्रिया सुले को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया था। उसके बाद से अजित पवार के तेवर तल्ख होते दिख रहे थे। लेकिन जो कदम उन्होंने उठाया वो किसी ने सोचा भी नहीं था। वो एकनाथ शिंदे की सरकार के साथ शामिल हो गए और रविवार को डिप्टी सीएम की शपथ ले ली।