अजित पवार ने डिप्टी सीएम के पद के लिए बगावत नहीं की है। इस बार बीजेपी के साथ उनकी डील स्ट्रांग है। सामना के संपादकीय में दावा किया गया है कि अजित इस बार सीएम बनेंगे, क्योंकि एकनाथ शिंदे और उनके कुछ विधायक अयोग्य साबित होने वाले हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता अजित पवार ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली, जबकि पार्टी के आठ अन्य नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली थी है।
शिवसेना (यूबीटी) ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में भाजपा ने केवल महाराष्ट्र की नहीं बल्कि देश की राजनीति को कुचला है। अजित पवार ने उप मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने का रिकॉर्ड बनाया है। लेकिन इस बार यह सौदा बड़ा है। मुखपत्र में दावा किया गया कि पवार वहां उपमुख्यमंत्री पद के लिए नहीं गए हैं। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे तथा शिवसेना के विद्रोही विधायकों को जल्द अयोग्य करार दिया जाएगा और पवार की ताजपोशी की जाएगी।
लोगों को पसंद नहीं आएगा अजित का ये कदम
सामना के अनुसार यह जो भी हुआ है राज्य के लोगों को पसंद नहीं आएगा। इसमें कहा गया कि राज्य में ऐसी कोई राजनीतिक परंपरा नहीं है और लोग इसका समर्थन कभी नहीं करेंगे। अजित पवार का यह कदम असल में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के लिए खतरनाक है। जब शिंदे और अन्य विधायकों ने पिछले साल शिवसेना छोड़ी थी तो उन्होंने तत्कालीन वित्त मंत्री अजित पवार को उनकी सीमाओं में नहीं रखने के लिए उद्धव ठाकरे को दोषी ठहराया था।
संपादकीय में कहा गया कि बागी विधायकों ने जो पहला कारण बताया वह यह था कि हमने राकांपा की वजह से शिवसेना छोड़ी। सामना में कहा गया, अब वह क्या करेंगे? शपथ ग्रहण समारोह के दौरान शिंदे गुट के सदस्यों के चेहरे के भावों से यह स्पष्ट हो गया था कि उनका भविष्य अंधकारमय है। मराठी दैनिक पत्र में कहा गया कि उनका तथाकथित हिंदुत्व अब खत्म हो चुका है। वह दिन दूर नहीं जब शिंदे और उनके बागी साथी अयोग्य करार दिए जाएंगे, यही है रविवार के घटनाक्रम का असली मतलब।