कोरोना से ठीक होने के बाद जहां लोग प्लाज्मा देने में हिचकिचाहट महसूस कर रहे हैं वहीं एक शख्स ऐसा भी है जो प्लाज्मा डोनेट करने के मामले में जरा भी नहीं सोचता है। यहां तक कि शख्स ने 14 बार प्लाज्मा डोनेट करने का रिकॉर्ड तक अपने नाम कर लिया है।
इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा दिए गए सर्टिफिकेट को दिखाते हुए 50 वर्षीय अजय मुनोत बताते हैं, ‘मैं भारत में पहला हूं जिसने अपना प्लाज्मा 14 बार डोनेट किया है।’ अजय को मिले सर्टिफिकेट में लिखा है, “बधाई, आपका दावा इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा सही पाया गया है। आपके नाम एक व्यक्ति द्वारा अधिकतम प्लाज्मा दान करने का रिकॉर्ड है। हम आपके द्वारा दिखाए गए प्रयास और धैर्य की सराहना करते हैं। संपादकीय बोर्ड ऑफ इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने आपके दावे का सत्यापन किया है। ” मुनोत , जो कि एक स्ट्रैटेजिक कंसलटेंट के रूप में काम करते हैं, ने बताया कि उन्होंने जून 2020 में कोरोना को मात दी थी। उन्होंने कहा, “मैंने खुद को COVID-19 केयर सेंटर में उस समय भर्ती कराया था।”
उसके बाद, मुनोत ने पाया कि सोशल मीडिया पर प्लाज्मा मांगने वाले परिवारों की संख्या बहुत बड़ी है। मुनोत ने बताया, ‘जुलाई में ठीक होने के 28 दिन बाद मैंने अपना पहला प्लाज़्मा डोनेशन किया था और यह एक आपातकालीन स्थिति थी जब एक मरीज का परिवार एक प्लाज्मा डोनर की तलाश कर रहा था।”
तिंग्रीनगर के रहने वाले पंकज सोनवणे ने कहा कि उनकी मां पिछले साल अगस्त में गंभीर रूप से बीमार थीं। उन्होंने कहा, “हमने ब्लड बैंकों से संपर्क किया जिनके पास कोई स्टॉक नहीं था। हमने कुछ डोनेटर से संपर्क किया, जो पहले डोनेट करने के लिए सहमत हुए, फिर मुकर गए। किसी तरह, हमें पुलिस कमिश्नरेट से अजय मुनोत का नंबर मिला जहां उन्होंने प्लाज्मा डोनेशन के लिए अपना नाम दर्ज किया था। ”
सोनवणे ने कहा कि उनकी 63 वर्षीय मां के फेफड़े गंभीर रूप से प्रभावित थे और वे जहाँगीर अस्पताल में भर्ती थीं। उन्होंने बताया, “तीन दिनों तक, हमें कोई भी डोनेटर नहीं मिला। लेकिन चौथे दिन, हमें मिल गया … प्लाज्मा मिलने के बाद, मेरी माँ कुछ दिनों के बाद आईसीयू से बाहर आ गई थीं। हालाँकि, वह COVID लक्षणों से प्रभावित थी। बाद में वह इससे उबर गई और अब एक सामान्य जीवन जी रही हैं। ” सोनवणे ने कहा,”अगर अजय मुनोत आगे नहीं आते तो मेरी मां की जान बचाना मुश्किल होता।”