देश की राजधानी दिल्ली ने एक बार फिर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में शीर्ष स्थान पाया है। शिकागो यूनिवर्सिटी के ऊर्जा नीति संस्थान (EPIC) की ओर से जारी ताजा एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स से पता चलता है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण धूम्रपान से ज्यादा खतरनाक हो चुका है। धूम्रपान से संभावित जीवन में 1.5 वर्ष की कमी आती है लेकिन वायु प्रदूषण से जिंदगी करीब 10 साल तक कम हो सकती है। बाल कुपोषण और मातृ कुपोषण भी अब वायु प्रदूषण से कम खतरनाक रह गए हैं। क्योंकि इनसे भी क्रमशः 1.5 वर्ष और 1.8 वर्ष उम्र ही कम होती है। इस अध्ययन में वायु प्रदूषण का संभावित जीवनकाल पर पड़ने वाले प्रभावों को बताया गया है।

AQLI (Air Quality Life Index) में पाया गया है कि वायु प्रदूषण से दुनिया भर में संभावित जीवनकाल में 2.2 वर्ष की गिरावट आई है। संभावित जीवनकाल पर वायु प्रदूषण का प्रभाव शराब और गंदा पानी से तीन गुना अधिक है, एड्स से 6 गुना अधिक है और आतंकवाद से 89 गुना अधिक है।

देश के पांच सबसे प्रदूषित राज्यों में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और त्रिपुरा का नाम शामिल है। वायु प्रदूषण के कारण इन राज्यों की आबादी की जीनव प्रत्याशा कम हुई है। मंगलवार को जारी इस अध्ययन से पता चलता है कि दुनिया भर में भारत बांग्लादेश के बाद दूसरा सबसे प्रदूषित देश है। बांग्लादेश में खराब हवा के कारण 2020 में लोगों की उम्र 6.9 साल घटी है। इसके बाद नेपाल (4.1 वर्ष), पाकिस्तान (3.8 वर्ष) और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (2.9 वर्ष) का स्थान है। इस रिपोर्ट से पता चलता है कि वायु प्रदूषण से संभावित जीवनकाल पर पड़ने वाले कुप्रभाव के मामले में भारत की हालत अपने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान और नेपाल से भी खराब है।


दुनिया भर में वायु प्रदूषण से सेहत संबंधी समस्याओं का सबसे अधिक सामना भारत को करना पड़ रहा है। प्रदूषण के बढ़ने की एक वजह भारत की अधिक जनसंख्या भी है। साल 2013 में भारत में प्रदूषण के कण का स्तर 53 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था, जो अब बढ़कर 56 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर हो गया है। ये आंकड़ा डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) की सीमा से लगभग 11 गुना अधिक है।