कविता जोशी
आजादी से पूर्व आठ अक्तूबर 1932 को ब्रिटिश साम्राज्य की सुरक्षा के लिए गठित की गई रायल इंडियन एअरफोर्स आजाद भारत की आज की वायुसेना है। इसका एक बेहद विस्तृत और समृद्ध इतिहास है। जिसके साथ कई रोचक दस्तावेज, चित्र, नक्शे और सैन्य अभियानों की जानकारियां जुड़ी हुई हैं।
इस तथ्य सामग्री को वायुसेना ने अब एक नए अवतार के साथ डिजिटल रूप में सहजने की महत्त्वपूर्ण कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए हाल ही में ‘प्रोजेक्ट मारुत : नो द पास्ट…प्रीपेयर फार फ्यूचर’ नामक एक परियोजना का आगाज कर दिया है। वायुसेना के एक अधिकारी ने बताया कि इस परियोजना का नाम भारतीय वायुसेना के पहले स्वदेशी लड़ाकू विमान एचएफ-24 मारुत के नाम पर रखा गया है। जिसे रक्षा क्षेत्र के स्वदेशी कंपनी हिंदुस्तान एअरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने बनाया था।
मारुत परियोजना में वायुसेना से जुड़े हुए ऐतिहासिक तथ्यों और उन तमाम वीर योद्धाओं से जुड़े हुए दस्तावेजों को डिजिटल रूप में एक जगह पर सहेजकर सुरक्षित रखा जाएगा। बल ने इसके लिए अपने सेवानिवृत्त अधिकारियों व तमाम अन्य कर्मियों से भी अनुरोध किया है वो भी उनके पास मौजूद या उनके कार्यकाल से जुड़े ऐसे किसी विशेष दस्तावेज या चित्र को डिजिटल रूप से संभालने के लिए projectmarut@gamil. com पर वायुसेना के पास भेजें।
उन्होंने बताया कि गुप्त सूची से हटाई गई कुछ (डिक्लासिफाइड) फाइलें, चित्र, मिशन रपट और रणनीतिक शोध हैं। कुछ बंद पड़ी हुई फाइलें इतिहास सेल में मौजूद हैं, जिनमें से कई देश की आजादी से पहले के कालखंड से जुड़ी हुई सामग्री है। इन्हें दोहरी तैयारी के साथ डिजिटल रूप में संरक्षित किया जाएगा। एक ओर संरक्षण होगा तो दूसरी ओर इन्हें शोध-अनुसंधान के लिए वायु योद्धाओं, बल के सेवानिवृत्त अधिकारियों, शिक्षाविदों, सैन्य इतिहासकारों और सैन्य मामलों में रुचि रखने वाले नागरिकों द्वारा प्रयोग किया जा सकेगा। इसके साथ ही परियोजना आने वाली पीढ़ियों में भारतीय सेना के प्रति रुचि पैदा करेगी।
सेवानिवृत्त अधिकारी भेज रहे सेना से जुड़ी यादें
वायुसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी ग्रुप कैप्टन एमएल बौंत्रा ने वर्ष 1971 के भारत और पाकिस्तान के युद्ध से जुड़े अपने खास अनुभव को चुनिंदा ऐतिहासिक तस्वीरों के साथ डिजिटल रूप में सहजने के लिए भारतीय वायुसेना के पास भेजे हैं। इसमें वे 1971 की लड़ाई की असल शुरुआत से पहले अपने नियुक्ति ठिकाने में जारी सरगरमीं, रणनीतिक कार्ययोजना और दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए की गई तैयारियों का भी जिक्र कर रहे हैं। बता दें कि 1971 के युद्ध में भारत ने न सिर्फ पाकिस्तान को बुरी तरह हराया था बल्कि उस समय के पूर्वी पाकिस्तान यानी बांग्लादेश को पाकिस्तान से अलग कर नए देश की मान्यता दिलाई थी।