कृषि मामलों की स्थायी समिति ने मंगलवार को लोकसभा में एक रिपोर्ट पेश की है। इसमें समिति ने केंद्र सरकार को किसानों से गोबर खरीदने की योजना लॉन्च करने के लिए कहा है। समिति ने रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ सरकार को गोधन न्याय योजना का भी जिक्र किया है। इस योजना के तहत भूपेश बघेल सरकार गाय के गोबर को किसानों से एक निश्चित मूल्य पर खरीदती है।

सहयोग एवं किसान कल्याण 2020-21 नामक इस रिपोर्ट में कहा गया है- “समिति का विचार है कि किसानों से पशुओं का गोबर खरीदने से न सिर्फ उनकी आय में इजाफा होगा और रोजगार के मौके पैदा होंगे, बल्कि इससे आवारा पशुओं की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी और पशुओं की ज्यादा संख्या होने से ऑर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा देने में भी आसानी होगी।”

रिपोर्ट में आगे कहा गया, “ऐसे में समिति यह सिफारिश करती है कि कृषि विभाग पशुपालन और डेयरी विभाग के सहयोग से किसानों से गोबर खरीदने के लिए एक योजना लॉन्च करे।” इसी रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना का भी जिक्र किया गया है। बता दें कि इस योजना के तहत छत्तीसगढ़ सरकार किसानों से दो रुपए प्रति किलो के भाव पर गाय का गोबर खरीदती है और इसे जैव उर्वरक खाद बनाने के बाद 8 रुपए प्रति किलो के भाव पर बेचती है।

रिपोर्ट में इस तरह की सिफारिशों से पहले भाजपा सांसद पर्वतागौड़ा चंद्रनागौड़ा गड्डीगौदर के नेतृत्व वाली कमेटी ने कृषि मंत्रालय के अधिकारियों से कहा है कि वे किसानों से पशुओं का गोबर खरीदने की योजना लॉन्च करें।

रिपोर्ट में उठा मुहैया हुए फंड्स लौटाने का मुद्दा: लोकसभा में पेश हुई इस रिपोर्ट में केंद्र सरकार द्वारा कृषि मंत्रालय के लिए आवंटित हुई राशि को लौटाने का मुद्दा भी उठाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019-20 में विभाग ने 34,517.70 करोड़ रुपए सरेंडर किए, जबकि 2020-21 में यह राशि 17,849 करोड़ रुपए रही। इस तरह बड़ी मात्रा में फंड्स छोड़ने से कई योजनाओं के लागू होने पर बुरा असर पड़ता है।

“समिति का यह विचार है कि अलग-अलग स्कीमों के तहत मुहैया कराए गए फंड्स का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल होना चाहिए, ताकि लक्ष्यों को पूरा कर किसानों को फायदा दिया जा सके। समिति ने कृषि विभाग को जल्द से जल्द इस मामले को राज्य सरकारों और इससे जुड़े संस्थानों के सामने उठाने के लिए भी कहा है।”