निरुपमा सुब्रमण्यम,
ऑर्मी स्टाफ के वॉइस चीफ लेफ्टिनेंट जनरल बी एस राजू ने सोमवार को कहा कि अग्निपथ भर्ती योजना को अच्छी तरह से विचार विमर्श किया गया है और अगर इसमें किसी भी तरह के बदलाव की जरूरत होती है आने वाले 4-5 सालों में किया जाएगा। सेना ने सभी अग्निपथ नौकरी के उम्मीदवारों के अनिवार्य ऑनलाइन पंजीकरण के लिए नोटीफिकेशन जारी की जिसके बाद हमारे सहयोगी अखबार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने उनका इंटरव्यू किया जिसमें उन्होंने बताया, ‘अग्निपथ स्कीम एक पायलट प्रोजेक्ट है। इस योजना से सशस्त्र बलों में भर्ती में एक बड़े बदलाव का प्रतीक है और सभी को इस बदलाव में ढलने की जरूरत है।’
अग्निपथ योजना योजना के खिलाफ देश के विभिन्न हिस्सों से हिंसक आंदोलन घटनाएं सामने आईं हैं। जो युवा 2020 से सेना में शामिल होने का इंतजार कर रहे थे दो साल बाद आई इस योजना से उन्हें नाराजगी है। नई योजना के खिलाफ युवा उग्र हो गए हैं, जो केवल सीमित संख्या में होगी, और स्थायी नौकरी, या पेंशन और स्वास्थ्य का आश्वासन नहीं देती है। चार साल के बाद तीन चौथाई अग्निवीरों को सेवाओं से बाहर निकलने वालों के लिए बहुत से लाभ भी हैं।
लेफ्टिनेंट राजू ने कहा, “नई भर्ती की पद्धति, भर्ती के विस्तार का प्रतिशत या भर्ती संबंधित ऐसे किसी भी नेचर की कोई भी चीज जसमें को बदलाव करने की जरूरत है तो यह चार से पांच साल के अंत में किया जाएगा। एक बार हमारे पास उचित डेटा आ जाए फिर हमारे लिए आसानी होगी। अभी हमारे पास एक नीति है जिस पर अच्छी तरह से विचार किया गया है और जिसे हम लागू कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि हम अभी कोई ऐसी भविष्यवाणी नहीं कर पाएंगे कि वास्तव में क्या किया जा सकता है। इसके हमारे अनुभव के आधार पर, चार से पांच वर्षों में, आवश्यक परिवर्तन लाए जाएंगे। ”
राजू ने कहा कि रेजिमेंट में बदलाव बहुत धीमी गति से होगा और समरूप इकाइयों को तुरंत खत्म करने की कोई योजना नहीं है। “हम इन रो के साथ कुछ भी बदलने की जल्दी में नहीं हैं।” उन्होंने आलोचनाओं का जवाब देते हुए कहा कि ‘अखिल भारतीय सभी वर्ग’ भर्ती कर्मियों की एकरूपता पर अब तक बनी युद्ध इकाइयों की एकजुटता को कमजोर कर देगी।
उन्होंने बताया, “मैं आपके इस तर्क से सहमत नहीं हूं कि यह नीति निर्माण हो रहा है। क्योंकि जो बदलाव और घोषणा हुई है वह 21 से 23 साल की है, बाकी सभी कुछ प्रस्ताव हैं जो अलग-अलग प्रतिष्ठानों से उस कार्यक्रम को और मजबूती देने के लिए आ रहे हैं जिसकी घोषणा सरकार ने 75 प्रतिशत की देखभाल के लिए की है। जो लोग निकल रहे हैं। इसलिए यह एक ऐड-ऑन है जो सरकार ने पहले से ही (प्रदान करने) के बारे में सोचा था।”