पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात किए बिना ही दो दिन बाद दिल्ली से चले गए हैं। हालांकि, पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि अमरिंदर सिंह सीएम बने रहेंगे। सिंह के खिलाफ पार्टी नेताओं की शिकायतों को दूर करने के प्रयास जारी रहेंगे। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा पंजाब कांग्रेस इकाई में अंदरूनी कलह को सुलझाने के लिए गठित तीन सदस्यीय पैनल नेताओं से मिलना जारी रखेगा। इससे पहले मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने मंगलवार को कांग्रेस की तीन सदस्यीय समिति के साथ मैराथन बैठक की थी।
अमरिंदर सिंह ने राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के संसद भवन स्थित कक्ष में कांग्रेस की समिति के सदस्यों के साथ लंबी बैठक की। खड़गे इस समिति के प्रमुख हैं। खड़गे के अलावा कांग्रेस महासचिव और पंजाब प्रभारी हरीश रावत तथा दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जेपी अग्रवाल इस समिति में शामिल हैं। समझा जाता है कि इस बैठक में कलह दूर करने के फार्मूले पर विचार करने के साथ ही आगामी विधानसभा चुनाव में एकजुट होकर उतरने की तैयारी पर चर्चा हुई।
वहीं आज कांग्रेस की पंजाब इकाई में कलह को दूर करने के लिए चल रहे प्रयासों के तहत पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुनील जाखड़ और कुछ अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ मंत्रणा की। राहुल गाँधी ने जाखड़ के अलावा पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल और पूर्व पीसीसी अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा के साथ बैठक की। राहुल गांधी से मुलाकात के बाद जाखड़ ने कहा कि कांग्रेस की राज्य इकाई में कोई झगड़ा नहीं है और मुख्य मुद्दा यह है कि अगले विधानसभा चुनाव में कैसे पार्टी एकजुट होकर उतरे और जीत हासिल करे।
मालूम हो कि राहुल गांधी पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के इस संकट को हल करने के लिए पिछले कुछ दिनों से राज्य के पार्टी नेताओं से लगातार मुलाकात कर रहे हैं। उन्होंने सोमवार और मंगलवार को भी पंजाब कांग्रेस के कई नेताओं के साथ बैठक की थी। गौरतलब है कि इन दिनों सिद्धू मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के खिलाफ जमकर बयानबाजी कर रहे हैं। विधायक परगट सिंह और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कुछ अन्य नेताओं ने भी मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी नेतृत्व अमरिंदर सिंह के चेहरे के साथ चुनाव में उतरने का पक्षधर है, हालांकि साथ ही वह सिद्धू को भी साथ लेकर चलना चाहता है। सूत्रों की मानें तो सिद्धू अब भी सरकार में नेतृत्व परिवर्तन पर जोर दे रहे हैं, लेकिन पार्टी की ओर से उन्हें संगठन में ‘सम्मानजनक स्थान’ की पेशकश के साथ मनाने का प्रयास किया जा रहा है।