TMC Politics: बसपा चीफ मायावती ने हाल में अपनी पार्टी में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। उन्होंने अपने भतीजे आकाश को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इसके बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी (TMC) में बदलाव आहट सुनाई देने लगी है। टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी के गुरुवार को पार्टी मुख्यालय में हुई वोटर लिस्ट जांच की महत्वपूर्ण बैठक से गायब रहने के बाद कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा पिछले हफ्ते गठित की गई उच्च स्तरीय समिति की यह पहली बैठक थी।

टीएमसी की बैठक में सब्रता बक्शी के बाद दूसरे स्थान पर होने के बावजूद अभिषेक बनर्जी बैठक में शामिल नहीं हुए। इससे पार्टी के अंदर हलचल मच गई। कुछ पार्टी नेताओं ने उनकी अनुपस्थिति को मामूली बताया, जबकि अन्य ने यह ध्यान दिलाया कि ममता बनर्जी ने स्पष्ट रूप से कहा था कि सभी चुनाव संबंधी कार्य टीएमसी मुख्यालय से होंगे ना कि कहीं और से। इससे पार्टी के भीतर नई अटकलें लगाई जा रही हैं।

सूत्रों के अनुसार, अभिषेक की अनुपस्थिति की डायमंड हार्बर विधानसभा क्षेत्र में चल रहे ‘सेबाश्रय’ कल्याण शिविरों की अंतिम चरण की तैयारियों के कारण थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बुधवार को वह महेशतल्ला में इन शिवरों में व्यस्त थे। हालांकि, गुरुवार को वह कोलकाता में थे, लेकिन वह बैठक में शामिल नहीं हुए। अगले सप्ताह 15 मार्च को डायमंड हार्बर की राज्य समिति के सदस्य, जिला अध्यक्ष और संगठनात्मक प्रमुखों के लिए एक वर्चुअल बैठक निर्धारित की गई है, जिसे कुछ सदस्य उनके व्यक्तित्व रूप से उपस्थित न होने का कारण मान रहे हैं।

गुरुवार की बैठक में टीएमसी नेताओं ने विभिन्न जिलों में वोटर लिस्ट की जांच का जिम्मा सौंपा। सब्रता बक्शी को दक्षिण कोलकाता का जिम्मा सौंपा गया, जबकि अभिषेक को दक्षिण 24 परगना की जिम्मेदारी दी गई। पार्टी एक वरिष्ठ नेता ने सुझाव दिया कि अभिषेक की उपस्थिति केंद्रीय नेतृत्व से अधिक विकेंद्रीकृत कार्यप्रणाली की ओर बढ़ने का संकेत हो सकती है।

यह बैठक भाजपा पर चुनावी लिस्ट में गड़बड़ियों का आरोप लगाने के टीएमसी के व्यापक प्रयास का हिस्सा थी। इससे पहले टीएमसी नेताओं ने जिला कार्यकर्ताओं से मिलकर डोर टू डोर जांच के परिणामों पर चर्चा की थी और भाजपा पर फर्जी वोटरों को लिस्ट में जोड़ने का आरोप लगाया था।

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पिछले हफ्ते ममता बनर्जी ने आरोप लगाया था कि भाजपा ने बाहरी लोगों को वोटरों की लिस्ट में जोड़ा है। इस कार्य में चुनाव आयोग की कथित मदद ली है। उन्होंने कहा कि ऐसे ही तरीके हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली के पिछले चुनावों में भी अपनाए गए थे।

इस संदर्भ में टीएमसी प्रतिनिधिमंडल ने बक्शी के नेतृत्व में राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी से मुलाकात की थी। वोटर कार्ड के लिए यूनिक आईडी के प्रस्ताव का समर्थन किया था। ताकि धोखाधड़ी और पुन:प्रस्तुति को रोका जा सके।

टीएमसी नेता ने साफ चुनावी लिस्ट की आवश्यकता पर जोर दिया। फीरहाद हकीन ने कहा कि बीजेपी बंगाल के चुनाव को मजाक बनाने की कोशिश कर रही है। जैसे आधार कार्ड और पासपोर्ट के लिए यूनिक आईडी होती है, वैसे ही वोटर कार्ड के लिए भी होनी चाहिए।

चुनाव आयोग ने यह साफ किया है कि वोटर लिस्ट अपडेट प्रक्रिया है और इसमें राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त बूथ लेवल अधिकारियों की भूमिका होती है। हालांकि, टीएमसी और अन्य विपक्षी दल अधिक कड़ी जांच की मांग कर रहे हैं, जिसमें ऑनलाइन जोड़े गए नामों की फिजिकल जांत भी शामिल हो।

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