चीन को लेकर मोदी सरकार अपनों के ही बयानों के भंवर में फंसती जा रही है। विदेश मंत्रालय का कहना है कि हम चीन के अवैध कब्जे को कतई स्वीकार नहीं करेंगे। वहीं सीडीएस ने चीन को क्लीन चिट दे दी है। इससे पहले पीएम मोदी ने एक मीटिंग में कहा था कि हमारे क्षेत्र में किसी ने कोई घुसपैठ नहीं की है। कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोलते हुए स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है। उधर, ओवैसी ने भी सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि संकट के समय यह कैसा रवैया?

पेंटागन ने हाल ही में एक रिपोर्ट में कहा था कि चीन ने अरुणाचल से सटे इलाकों में गांव बसा दिए हैं। अमेरिकी रक्षा विभाग ने रिपोर्ट में कहा कि चीन ने तिब्बत और भारत के अरुणाचल प्रदेश के बीच एक बड़ा गांव निर्मित किया है। सीडीएस बिपिन रावत ने इस रिपोर्ट पर कहा कि चीन के भारतीय क्षेत्र में नया गांव बनाने की बात सही नहीं है। चीन ने एलएसी का उल्लंघन नहीं किया है। जिस गांव के बारे में बात की जा रही है, वो गांव एलएसी के पार बसा है। चीन के सीमा पर कब्जे को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना है कि हमने पेंटागन की उस रिपोर्ट का संज्ञान लिया है, जिसमें भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में चीन के निर्माण का जिक्र है।

उधर, अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सीमा पर चीन के गांव बसा देने से जुड़ी खबरों को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने मोदी सरकार से सफाई मांगी है। उनका कहना है कि चीन के नया गांव बसाने को लेकर विदेश मंत्रालय और सीडीएस बिपिन रावत ने अलग-अलग बयान दिए हैं। सुरजेवाला ने कहा है कि हर किसी के अलग बयान से चीजों को लेकर भ्रम पैदा होरहा है, ऐसे में नरेंद्र मोदी इस पर सफाई दें।

सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा कि भारत के विदेश मंत्रालय का कहना है कि हम चीन के अवैध कब्जे को कतई स्वीकार नहीं करेंगे। वहीं सीडीएस ने चीन को क्लीन चिट दे दी है। इससे पहले प्रधानमंत्री ने सर्वदलीय बैठक में कहा था कि हमारे क्षेत्र में किसी ने कोई घुसपैठ नहीं की है। इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने देपसांग-गोगरा पर चीन के साथ 13 दौर की बातचीत भी की है। आखिर हो क्या रहा है, क्या मोदी सरकार सच बताएगी?

उधर, ओवैसी ने अपने ट्वीट में रावत के बयान से जुड़ी खबर पोस्ट करते हुए लिखा कि कैसी बेढंगी सरकार है यह। विदेश मंत्रालय कुछ बोलता है और सीडीएस कुछ और। संकट के समय यह कैसा रवैया है? ध्यान रहे कि चीन ने पहले भी सीमा से लगते क्षेत्र में निर्माण कार्य किए हैं, जिसमें दशकों के दौरान अवैध रूप से कब्जा किया गया क्षेत्र शामिल है। भारत ने अपनी जमीन पर चीन द्वारा ना तो किसी अवैध कब्जे को स्वीकार किया है और ना ही चीन के अनुचित दावों को स्वीकारा है।