गृह मंत्री अमित शाह की हाल ही में बिहार में हुई वर्चुअल रैली का असर अब विपक्ष पर भी पड़ता दिख रहा है। कोरोनावायरस संक्रमण के मद्देनजर प्रवासी मजदूरों और पीड़ितों की बढ़ती संख्या पर राजनीति में जुटी कांग्रेस और राजद अब ऐक्शन में आई हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, नवंबर में चुनाव की आशंका को देखते हुए दोनों पार्टियां सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर काम कर रही हैं।

बताया गया है कि एक वरिष्ठ राजद नेता से बात करने के बाद कांग्रेस के एक नेता बिहार से दिल्ली पहुंचे हैं, ताकि वे गांधी परिवार और ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC) के सामने आगामी चुनाव के लिए सीट शेयरिंग और गठबंधन का फॉर्मूला रख सकें। इस बीच यह भी खबर है कि राजद नेता तेजस्वी यादव गठबंधन पर फैसला लेने के लिए पार्टी प्रमुख और अपने पिता लालू प्रसाद यादव से मिलने पहुंचने वाले हैं। लालू इस वक्त रांची के रिम्स में बीमारी का इलाज करा रहे हैं।

गौरतलब है कि भाजपा पहले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है। हालांकि, न तो राजद और न ही कांग्रेस की तरफ से अब तक कोई ऐसा ऐलान किया गया है।

राजद के बिहार प्रमुख जगदआनंद सिंह का कहना है कि विधानसभा चुनाव कराना संवैधानिक जरूरत है। यह चुनाव आयोग का अधिकार है कि वह कब चुनाव कराता है। राजद किसी भी समय चुनाव के लिए तैयार है। हालांकि, राजद प्रमुख ने भी कांग्रेस से गठबंधन के मसले पर अब तक चुप्पी साध रखी है। बता दें कि पिछली बार कांग्रेस ने राजद और जेडीयू के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था। इसमें कांग्रेस कुल 243 में से 42 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे 26 में जीत भी मिली थी।

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कांग्रेस नेता अखिलेश प्रसाद सिंह के मुताबिक, कांग्रेस का बिहार में स्ट्राइक रेट दूसरी पार्टियों से बेहतर था। इसलिए हम इस बार ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। जानकारी के मुताबिक, हाल ही में बिहार कांग्रेस नेताओं की बैठक में कुछ लोगों ने 100 सीटों पर लड़ने तक की मांग रख दी थी। हालांकि, माना जा रहा है कि गठबंधन होता है तो कांग्रेस की सीमित सामाजिक और चुनावी पहुंच देखते हुए उसे 60-70 सीटों के बीच चुनाव लड़ने का मौका मिल सकता है।