अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद से उठापटक जारी है। फिलहाल वहां महिलाएं मुखर हैं अपने अधिकारों को हासिल करने के लिए। रोजाना सड़क पर होने वाले प्रदर्शनों की तरफ इशारा करते हुए बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने पीएम मोदी से अपील की है कि वह खुलकर इनका साथ दें। पब्लिकली इसे अनाउंस भी करें।
स्वामी ने कहा कि अफगानिस्तान की महिलाओं ने तालिबान के शासन के समक्ष सिर झुकाने से इनकार कर दिया है। वो लगातार सड़कों पर उतरकर अपने अधिकारों के लिए लड़ाई कर रही हैं। भारत को चाहिए कि वो इनके पक्ष में मजबूती से खड़ा रहे। उनका कहना था कि तालिबान महिलाओं के अधिकारों का हनन नहीं कर सकता। मोदी सरकार खुलकर इनके पक्ष में आएगी तो इन महिलाओं को बड़ा सहारा मिलेगा।
बीजेपी सांसद ने कहा कि काबुल समेत कई प्रांतों में महिलाओं ने अफगानिस्तान में पुरुष प्रधान अंतरिम सरकार के गठन का विरोध किया है। उनका कहना है कि वो महिलाओं की गैर मौजूदगी वाली सरकार को स्वीकार नहीं करेंगी। ऐसी महिलाओं को पीटने की भी खबर सामने आ रही हैं। मोदी सरकार के इनका समर्थन करने से वैश्विक स्तर पर भारत की छवि मजबूत और महिलाओं के हित वाली सरकार की बनेगी।
गौरतलब है कि तालिबान की अंतरिम कैबिनेट में कोई महिला नहीं है। इसमें सिर्फ तालिबान या उससे जुड़े नेता हैं। इसकी अमेरिका ने भी आलोचना की है। पंजशीर में तालिबान से लड़ रहे लड़ाकों ने सरकार को गैर-कानूनी बताया है। यूरोपीय संघ का कहना है कि तालिबान अपने वादों से मुकर गया है। अपने अधिकारों की मांग के साथ महिलाओं ने तालिबान को मिल रहे पाकिस्तान के समर्थन पर भी विरोध जताया था। उन पर बल प्रयोग की खबरें भी सामने आई थीं। हालांकि, तालिबान ने प्रदर्शनकारियों पर किसी तरह की हिंसा से इनकार किया है।
Afghan women take to streets in Kabul, vow to fight for rights https://t.co/e9HOifXbQ9 @wionews: Modi should publicly declare India stands firmly with Afghan women in the struggle for basic human rights and equality. Taliban cannot trample on these inalienable fundamental rights
— Subramanian Swamy (@Swamy39) September 20, 2021
तालिबान ने अफगानिस्तान पर करीब तीन हफ्ते पहले कब्जा कर लिया था। अब उसके सामने कई मुश्किलें हैं जिनमें अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना करना और अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त करना अहम है। लेकिन हाल फिलहाल जो माहौल दिख रहा है उसमें चीन और पाकिस्तान के अलावा अमेरिका समेत पश्चिमी मुल्क तालिबान के विरोध में हैं।