भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के आपातकाल के बारे में दिए बयान से राजनीतिक हलकों में अटकलों का दौर शुरू हो गया है। आडवाणी के अंदेशे को विपक्ष ने जायज करार दिया है। अटकलें हैं कि यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर केंद्रित है, हालांकि संघ ने इन्हें खारिज कर दिया है। भाजपा के कहा है कि आडवाणी का संकेत किसी व्यक्ति पर केंद्रित नहीं है।

आडवाणी ने बुधवार को एक साक्षात्कार में कहा था कि संवैधानिक और कानूनी सुरक्षा होने के बावजूद अभी के समय में जो ताकतें लोकतंत्र को कुचल सकती हैं, वे मजबूत हुई हैं। उन्होंने कहा, 1975-77 में आपातकाल के समय के बाद से मैं नहीं समझता कि ऐसा कुछ किया गया जो आश्वस्त करता हो कि नागरिक स्वतंत्रता का फिर से हनन नहीं होगा।

पूर्व उपप्रधानमंत्री और भाजपा के मार्गदर्शक मंडल के सदस्य आडवाणी ने कहा कि वास्तव में, कोई आसानी से ऐसा नहीं कर सकता है, लेकिन ऐसा दोबारा नहीं होगा, मैं ऐसा नहीं कहूंगा। ऐसा हो सकता है कि मौलिक स्वतंत्रता में फिर कटौती हो।

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आपातकाल के दौरान आडवाणी सहित विपक्ष के कई दिग्गज नेताओं को जेल में कैद करके रखा गया था। उन्होंने कहा, ‘आज, मैं यह नहीं कहता कि राजनीतिक नेतृत्व परिपक्व नहीं है। मुझे इसकी कमजोरियों के कारण इसमें विश्वास नहीं है। मुझे यह विश्वास नहीं है कि ऐसा (आपातकाल) फिर नहीं हो सकता है।’

आडवाणी की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आरएसएस विचारक एमजी वैद्य ने कहा, ‘आडवाणी भाजपा के मार्गदर्शक मंडल के एक सदस्य हैं। उन्हें ऐसा नहीं लगता है कि वे मोदी को कोई संदेश दे रहे हैं। मैं ऐसा कुछ महसूस नहीं करता हूं। वे उम्र में काफी बड़े हैं और अनुभवी हैं। इसलिए वे मोदी से बात कर सकते हैं। वे भाजपा के मार्गदर्शक मंडल में हैं। मैं नहीं समझता कि उनका मोदी को इस साक्षात्कार के जरिए कोई संदेश पहुंचाने का इरादा होगा।’

भाजपा प्रवक्ता एमजे अकबर का भी मानना है कि यह किसी व्यक्ति पर केंद्रित नहीं है, बल्कि संस्थाओं पर है। उन्होंने कहा, ‘मैं समझता हूं कि आडवाणीजी व्यक्तियों की बजाय संस्थाओं का उल्लेख कर रहे थे। मैं उनके विचारों का सम्मान करता हूं लेकिन व्यक्तिगत रूप से मैं आपातकाल, देश में आपातकाल फिर से लगाने की कोई संभावना नहीं देखता हूं। मैं समझता हूं कि वह युग बीत गया, भारतीय लोकतंत्र काफी मजबूत है, अब काफी मजबूत हो गया है।’

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बहरहाल, कांग्रेस प्रवक्ता टॉम वडक्कन ने आडवाणी की टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा कि ‘जूरी’ सत्ताधारी पार्टी से ही निकली है। वह मोदी के शासन के दौरान आपातकाल जैसी स्थिति का संकेत दे रही है। आज जूरी सामने आ गई है। आडवाणीजी मुखर हो गए हैं।

उन्हें जो कहना था, उन्होंने कह दिया। यह स्पष्ट है कि वे किसके बारे में बात कर रहे हैं, यहां किसकी सरकार है, कौन प्रधानमंत्री है। वे इसे जानते हैं। लेकिन वे भाजपा में राजनेता का दर्जा रखने वाले नेता हैं। वे प्रधानमंत्री का नाम नहीं लेना चाहते हैं। लेकिन जिसने भी साक्षात्कार को पढ़ा होगा, वह यह समझेगा कि आडवाणी, मोदी के बारे में बात कर रहे हैं।

आपातकाल के दौरान आडवाणी के साथ जेल में कैद किए गए जद (एकी) नेता के सी त्यागी ने कहा,‘मैं आडवाणीजी से सहमत हूं कि आपातकाल जैसी परिस्थितियां और संदर्भ अभी भी बने हुए हैं। आपातकाल की ओर उन्मुख होने के कारण अभी समाप्त नहीं हुए हैं।’ सपा नेता नरेश अग्रवाल ने कहा कि अगर आडवाणीजी चिंता व्यक्त करते हैं तब सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए क्योंकि उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता ने ऐसी चिंता व्यक्त की है। देश में जो व्यवस्था अभी चल रही है, वह लोकतांत्रिक नहीं है और कहीं न कहीं इससे तानाशाही व्यवहार झलक रहा है।

केंद्र के साथ विभिन्न मुद्दों पर टकराव की स्थिति का सामना कर रहे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आडवाणीजी सही कहते हैं कि आपातकाल को खारिज नहीं किया जा सकता। क्या दिल्ली प्रथम प्रयोग होगा? बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आडवाणी की टिप्पणी का समर्थन करते हुए पटना में कहा, ‘आडवाणी भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं। उनकी चिंता को गंभीरता के साथ लिया जाना चाहिए। जहां तक आपातकाल जैसी स्थिति का प्रश्न है, तो हम यहां हर दिन ऐसी स्थिति का सामना कर रहे हैं।’

कोलकाता से मिली खबर को अनुसार, आडवाणी की राय से सहमति जताते हुए लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने कहा कि राजनीतिक शत्रुता और प्रतिशोध नए स्तर पर चला गया है और ऐसे में भारतीय राजनीति में आपातकाल का डर बरकरार है।

चटर्जी ने कहा, कुल मिलाकर मैं सहमत हूं कि आपातकाल का डर बरकरार है। राजनीतिक शत्रुता और प्रतिशोध नए स्तर तक पहुंच गया है और दुर्भाग्यपूर्ण है कि आपातकाल का प्रावधान संविधान में है। उन्होंने कहा, ‘नागरिक अधिकारों के निलंबन और आधिकारिक या अनाधिकारिक रूप से आपातकाल लगाए जाने का डर है। यह राज्य और केंद्र दोनों में हो सकता है।’

भाकपा सांसद डी राजा ने लालकृष्ण आडवाणी के रुख को साझा करते हुए कहा कि मोदी सरकार संसद और अन्य संस्थाओं की अवहेलना कर रही है। इस मुद्दे पर आडवाणी के बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए राजा ने यह भी पूछा कि आपातकाल लागू होने की आशंका की बात करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता के दिमाग में कौन था। भाकपा सांसद ने कहा, जिस मुद्दे को वे उठा रहे हैं, अगर उसे लेकर गंभीर हैं तो उन्हें खुलकर बताना चाहिए।