हाल ही में सामने आए पांच राज्यों(पंजाब, गोवा, मणिपुर, उत्तराखंड और यूपी) के विधानसभा चुनाव नतीजों में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन पर पार्टी में मंथन का दौर जारी है। जहां एक तरफ कांग्रेस के अंदर G-23 नेताओं की असंतुष्टि भी जाहिर हो रही है तो वहीं पार्टी के बड़े नेता वीरप्पा मोइली ने वरिष्ठ नेताओं से कहा है कि वो घबराएं नहीं, मोदी युग के बाद भाजपा भी बिखर जाएगी।
इस बीच द इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सच है कि कांग्रेस के इतिहास में यह पहली बार है कि पार्टी मोदी-शाह के नेतृत्व के आगे एक चुनौतीपूर्ण राजनीतिक ताकत का सामना कर रही है। बता दें कि अधीर रंजन से सवाल किया गया कि क्या आपको नहीं लगता कि कई चुनावी हार के बाद पार्टी में बड़े बदलाव की जरूरत है?
इस पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस जन आधारित पार्टी है। कांग्रेस के पास कार्यकर्ताओं की किसी भी तरह की रेजीमेंट नहीं है। हम एक उदार लोकतांत्रिक पार्टी में विश्वास रखते हैं। लेकिन हमारे सामने मोदी और शाह की वो रणनीति है, जो नैतिकता और लोकतांत्रिक मूल्यों की परवाह किए बिना तमाम नियमों, प्रक्रियाओं और संस्थानों को केवल तबाह कर रही है।
उन्होंने कहा कि इस तरह की स्थिति में हमारी पार्टी को निश्चित रूप से राजनीतिक पराजय का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि राजनीतिक पराजय का सारा भार केवल नेतृत्व पर ही है। खराब प्रदर्शन के कारणों का विश्लेषण करना होगा और एक नया तरीका खोजना होगा।
कांग्रेस को पराजय से आगे निकालने को लेकर चौधरी ने कहा, “सीडब्ल्यूसी की बैठक में सोनिया गांधी ने चिंतन शिविर आयोजित करने पर सहमति व्यक्त की है। जब भी कांग्रेस बुरे दौर में होती है, परंपरागत रूप से पार्टी इस तरह के शिविर आयोजित करती रही है। चाहे वह पचमढ़ी हो या फिर शिमला हो। पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए गहन चर्चा होती है। यह पहली बार नहीं है।”
कांग्रेस सांसद ने कहा कि जब हमारे सामने हर रास्ता उपलब्ध है, तो हमें मीडिया के सामने क्यों चिल्लाना चाहिए? पिछली सीडब्ल्यूसी में सोनिया गांधी ने खुद स्वतंत्र और स्पष्ट चर्चा के लिए आह्वान किया था। उन्होंने कहा है कि अगर नेतृत्व को लगता है कि गांधी परिवार को बदला जाना चाहिए तो हम इसे स्वीकार करने के लिए तैयार हैं।