राजनीतिक दलों को चंदा देने से जुड़े कानून में अंदरखाने ही बदलाव करने पर आम आदमी पार्टी (AAP) नेता कुमार विश्वास ने तीखा हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘बिना बिके-झुके, लोकतंत्र के इस तथाकथित मंदिर में शायद कोई आया ही नहीं है सो अंदर ही अंदर बने इस निहायत बेशर्म कानून के खिलाफ कोई बोलेगा भी नहीं! दरबारियों के चमचाच्छादित अदृश्य कपड़े पहने हर राजा नंगा है! पक्ष-विपक्ष-निरपेक्ष!’ विश्वास का ट्वीट सामने आते ही लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करनी शुरू कर दी। एक व्यक्ति ने लिखा, ‘कुमार भाई मैं आपका बहुत सम्मान करता हूं। आर्थिक या सामाजिक रूप से इस बेशर्म कानून को अदालत में चुनौती नहीं दे सकता। आप क्यों नहीं इसके खिलाफ याचिका दायर करते हैं? जमीन पर उतरिये और टि्वटर पर बोलने का काम हम जैसे लोगों पर छोड़ दीजिए।’ अभिषेक आनंद ने ट्वीट किया, ‘इस लोकतंत्र में सारे नियम-कानून आम जनता के लिए हाते हैं। वर्षों से चली आ रही प्रथा आज भी चल रही है। पहले राजा अपनी मर्जी से काम करता था। अब हमारे नेता लोग। सैलरी बढ़ानी हो या चंदा सारी पार्टियां एक हो जाती हैं। ये सेवक बन सिर्फ मावा खाना चाहते हैं।’ जेके लक्ष्मण ने लिखा, ‘जनतंत्र एक आशा, मदारी का पाशा। दुविधा की भाषा, मश्किल है प्रत्याशा।’ धीवेंद्र चंद्रा ने लिखा, ‘वाह रे लोकतंत्र! यह कैसी विडंबना है कि किसान के खाते की जांच हो रही है और नेताओं की मौज हो रही है।’

FCRA में बदलाव: राजनीतिक चंदा लेने से जुड़े कानूनी प्रावधानों में बदलाव करने की तैयारी है। नरेंद्र मोदी सरकार ने इस साल का वित्त विधेयक संसद में बवाल के बीच बिना किसी बहस के ही पारित करवा दिया। इसमें विदेशी चंदा (विनियमन) कानून (FCRA) में महत्वपूर्ण बदलाव की व्यवस्था की गई है। इसके तहत राजनीतिक दलों द्वारा विदेशी कंपनियों से चंदा लेना आसान हो जाएगा। यह बदलाव FCRA के अमल में आने वाले दिन (5 अगस्त, 1976) से प्रभावी माना जाएगा। वित्त अधिनियम, 2016 में तो ‘विदेशी कंपनी’ की परिभाषा ही बदल दी गई है। इसे FCRA के नए रूप के अमल में आने वाले दिन (26 सितंबर, 2010) से प्रभावी माना जाएगा। दरअसल, हाई कोर्ट ने केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को FCRA के प्रावधानों के उल्लंघन का दोष करार दिया था। कानून में बदलाव कर उसे पिछली तिथि (पूर्वगामी) से लागू माने जाने का प्रावधान किय गया है, ताकि कोर्ट का निर्णय निष्प्रभावी हो जाए। दिल्ली हाई कोर्ट ने वर्ष 2017 में केंद्र सरकार को विभिन्न राजनीतिक दलों के खातों की जांच करने का आदेश दिया था, जिससे FCRA के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाली पार्टियों का पता लगाया जा सके।