INDIA Bloc: संसद के मानसून सत्र से पहले आम आदमी पार्टी ने इंडिया गठबंधन से अपने सभी संबंध पूरी तरह से खत्म कर लिए हैं। AAP पार्टी के इस सियासी कदम से संसद में विपक्ष की एकजुट आवाज कमजोर पड़ने की उम्मीद है। बता दें, लोकसभा चुनाव 2024 के बाद केजरीवाल की पार्टी ने इस गठबंधन से दूरी बना ली थी।
संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होकर 21 अगस्त तक चलेगा। पहले यह सत्र 12 अगस्त तक के लिए निर्धारित था, लेकिन मोदी सरकार ने इसे एक सप्ताह बढ़ा दिया है। सदन में मोदी सरकार को घेरने के लिए इंडिया गठबंधन ने रणनीति तैयार करने के लिए शुक्रवार शाम को ऑनलाइन बैठक बुलाई है। शनिवार को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर गठबंधन की बैठक बुलाई गई है, जिसमें आम आदमी पार्टी हिस्सा नहीं लेगी। इस तरह से आम आदमी पार्टी ने इंडिया गठबंधन से पूरी तरह रिश्ता खत्म कर लिया है।
AAP का इंडिया गठबंधन से अलगाव
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय सिंह ने साफ कहा कि उनकी पार्टी इंडिया गठबंधन की बैठकों में शामिल नहीं होगी। AAP नेता ने कहा कि हमारी पार्टी और अरविंद केजरीवाल ने पहले ही साफ कर दिया है कि हम इंडिया गठबंधन से बाहर हैं। राज्यसभा सांसद ने कहा कि AAP संसदीय मुद्दों पर टीएमसी और डीएमके जैसे विपक्षी दलों के साथ समन्वय बनाए रखेगी और उनका समर्थन करेगी, जैसा कि ये दल आम आदमी पार्टी का समर्थन करते हैं।
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने बताया कि इंडिया गठबंधन केवल लोकसभा चुनाव के लिए था। इसके बाद आम आदमी पार्टी ने हरियाणा और दिल्ली विधानसभा चुनावों के साथ-साथ पंजाब और गुजरात के उपचुनावों में अकेले हिस्सा लिया। इस तरह आम आदमी पार्टी ने पहले ही इंडिया गठबंधन से सियासी दूरी बना ली थी और अब संसद में विपक्षी एकता से भी अलग हो गई है।
क्या संसद में कमजोर हो जाएगी विपक्ष की आवाज?
बता दें, आम आदमी पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 के बाद इंडिया गठबंधन से दूरी बना ली थी, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक वह विपक्ष के साथ मिलकर मोदी सरकार की नीतियों का विरोध करती रही है। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह संसद में मुखर होकर सरकार की नीतियों के खिलाफ बोलते रहे हैं और विपक्ष की ताकतवर आवाजों में से एक माने जाते हैं, लेकिन मॉनसून सत्र में आम आदमी पार्टी के गठबंधन से अलग होने के बाद विपक्ष की एकजुट रणनीति में दरार पड़ने की आशंका है।
आम आदमी पार्टी के पास राज्यसभा में 8 और लोकसभा में 3 सांसद हैं। संसद में जो उसकी सियासी अहमियत को बताते हैं। ऐसे में आम आदमी पार्टी के अलग होने से विपक्षी एकता को बड़ा झटका लग सकता है।
विपक्ष की रणनीति क्या है?
मानसून सत्र के दौरान इंडिया गठबंधन ने मोदी सरकार को कई मुद्दों पर घेरने की रणनीति बनाई है। कांग्रेस समेत अन्य दल बिहार में विशेष मतदाता सूची संशोधन, ऑपरेशन सिंदूर और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावों जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाने की तैयारी में है, लेकिन आम आदमी पार्टी ने इन बैठकों में शामिल होने से इनकार कर दिया है।
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AAP नेता संजय सिंह ने कहा कि पार्टी के लिए दिल्ली, यूपी, बिहार और पूर्वांचल के लोगों के खिलाफ चलाए जा रहे बुलडोजर और उनके घरों-दुकानों को तोड़े जाने का मुद्दा सबसे अहम है। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों के बंद होने का मुद्दा भी आम आदमी पार्टी पूरी ताकत से उठाएगी। इस तरह आम आदमी पार्टी ने साफ कर दिया है कि वह विपक्षी दलों के साथ संयुक्त रणनीति के बजाय अपने मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेगी।
कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच तनाव
आम आदमी पार्टी का इंडिया गठबंधन में असल टकराव कांग्रेस के साथ है। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, और गोवा जैसे राज्यों में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच सियासी प्रतिद्वंद्विता रही है। हालांकि, आम आदमी पार्टी का सपा, टीएमसी, और डीएमके जैसे घटक दलों के साथ बेहतर तालमेल है, लेकिन कांग्रेस के साथ उसके रिश्ते लगातार ठीक नहीं रहे हैं।
वहीं, इंडिया गठबंधन के भीतर पहले से सभी दल अपने-अपने रास्ते पर चल रहे थे। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना (उद्धव ठाकरे) और कांग्रेस के बीच भी तनाव सामने आया था। हालांकि, उद्धव ठाकरे के दिल्ली आने की चर्चा है, लेकिन यह साफ नहीं है कि वो इंडिया गठबंधन की बैठक में शामिल होंगे या नहीं। ऐसे में विपक्षी खेमे में एकता नजर नहीं आ रही है, जो इंडिया गठबंधन की धार को मुथरा करती दिख रही है। वहीं, रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ ईडी के एक्शन को लेकर राहुल गांधी ने बड़ा बयान दिया है। पढ़ें…पूरी खबर।