प्रदेश कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार की ओर से विधानसभा में पेश किए गए दो शिक्षा संबंधी बिलों को जनविरोधी बताया है। एक संवाददाता सम्मेलन में प्रदेश कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता शर्मिष्ठा मुखर्जी और अमन पंवार ने कहा कि दोनों बिल पूरी तरह से त्रृटिपूर्ण हैं। मुखर्जी ने कहा कि यदि ज्यादा फीस लेने को लेकर शिकायत होती है तो उसमें समय-सीमा नहीं तय की गई जिसमें संबधित स्कूल ज्यादा ली गई फीस या फाइन को देने के लिए। क्योंकि कमेटी शिकायत की जांच करेगी। उन्होंने कहा कि न्याय में देरी, न्याय देने से मना करना है।

उन्होंने कहा कि नया बिल शक्तिहीन है। यह बिल प्राइवेट स्कूलों को ज्यादा से ज्यादा फीस देने के लिए स्वत्रंतता देता है। फीस की ऊपरी सीमा को लेकर कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा कि दिल्ली स्कूल एजुकेशन संशोधन बिल 2015 से सेक्शन 10 (1) को निकालना गलत है क्योंकि प्राइवेट टीचर से पे पेरिटी क्लाज के निकालने से प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट के द्वारा शोषण बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि उक्त सेक्शन में यह था कि प्राइवेट स्कूल टीचर्स को सरकारी स्कूलों के टीचरों के बराबर वेतन मिलेगा। जबकि नए बिल में यह धारा हटा दी गई है।

उन्होंने कहा कि मुझे बड़ा आश्चर्य हो रहा है कि जो पार्टी आम आदमी की भलाई के लिए बनी थी वह कैसे प्राइवेट स्कूल टीचरों के साथ अन्ंयाय कर सकती है। उनको प्रबंधन की कृपा पर छोड़ सकती है। सेक्शन 24 और 27 शिक्षा निदेशक को शिकायत, पावर, जांच और दंड देने की शक्ति देता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा निदेशक बिना किसी चेक बैलेंस के फाइन लगा सकते हैं जो कि पहले कोर्ट की शक्ति थी। इस प्रकार की शक्तियां शिक्षा निदेशक को देने का अर्थ है कि न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप करना।

मुखर्जी ने कहा कि सेक्शन 27(2) कहता है कि जो अपराध नान कॉगनिजिबल और बेलेबल होंगे उसमें कोई भी कोर्ट इस एक्ट के उल्लंघन का संज्ञान नहीं लेगी, केवल उस स्तर के अधिकारी के जिसको कि सरकार अधिकृत करेगी। यह सेक्शन अभिभावकों के अपनी शिकायतों के निवारण के लिए सीधे कोर्ट जाने के अधिकार को छीनता है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार से नागरिकों के मौलिक अधिकारों को छीनना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।

आम आदमी पार्टी की सरकार सारे अधिकार अपने पास रखना चाहती है। सेक्शन 16 (ए) केपिटेशन फीस और एलिमेंट्री लेवल पर बच्चों की स्क्रीनिंग पर प्रतिबंध लगाता है। उन्होंने कहा कि दिल्ली स्कूल एजुकेशन रूल्स 1973 का नियम 145 कक्षाओं में भेदभाव पूर्ण दाखिले पर प्रतिबंध लगाता है न सिर्फ एलिमेंट्री लेवल पर बल्कि सभी कक्षाओं में परंतु नया नियम शिक्षण संस्थान के मुखिया को दाखिलों में मनमानी का अधिकार देता है।