आम आदमी पार्टी (आप) के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे प्रशांत भूषण ने शनिवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि वह अण्णा आंदोलन के जनलोकपाल मसविदे के प्रावधानों को कमजोर करके लोगों को सबसे बड़ा धोखा दे रहे हैं। पत्रकारों से उन्होंने कहा कि यह जन लोकपाल नहीं महाजोकपाल है। इस बीच उनके पिता, वरिष्ठ वकील 2011 के जनलोकपाल बिल को तैयार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले शांति भूषण ने दिल्ली के मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की है।
किसी समय अरविंद केजरीवाल के सहयोगी रहे भूषण ने मसौदा विधेयक, जिसे अभी दिल्ली सरकार ने सार्वजनिक नहीं किया है, के कुछ प्रावधान पढ़े। उन्होंने दावा किया कि टकराव को बढ़ावा देने के लिए केंद्र के मंत्रियों और अधिकारियों को ‘जानबूझकर’ प्रस्तावित विधेयक के दायरे में रखा गया है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल को भी मोदीस्र की तरह सवाल किया जाना पसंद नहीं है लिहाजा उन्होंने विधेयक का ब्यौरा सार्वजनिक नहीं करने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास में किसी कार्यकर्ता अथवा आंदोलन ने इस तरह से लोगों के साथ धोखा नहीं किया है। इससे सिर्फ यही होगा कि केंद्र सरकार इसे मंजूरी नहीं देगी और विधेयक कभी पारित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि केजरीवाल की एक मजबूत लोकपाल बनाने की मंशा कभी नहीं रही।
आप के असंतुष्ट विधायक पंकज पुष्कर भी इस मौके पर भूषण के नोएडा स्थित आवास पर उपस्थित थे। उन्होंने दावा किया कि बिजनेस एडवाइजरी कमेटी का सदस्य होने की हैसियत से वह विधेयक की एक प्रति हासिल करने में सफल रहे।
भूषण ने विधेयक में उल्लिखित लोकपाल की नियुक्ति और हटाने की प्रक्रियाओं पर सवाल उठाया, जिसे हाल ही में आप कैबिनेट ने मंजूरी दी। उनका कहना था कि इससे लोकपाल को राज्य सरकार के रहमोकरम पर छोड़ दिया गया है। विधेयक कथित रूप से कहता है कि मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, विपक्ष के नेता और दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश वाली चार सदस्यीय चयन समिति लोकपाल की नियुक्ति करेगी, जबकि विधानसभा में दो तिहाई बहुमत से मंजूर होने वाले प्रस्ताव के जरिए लोकपाल को हटाया जा सकेगा।
शांति भूषण ने कहा कि यहां तक कि केंद्र का लोकपाल विधेयक जिसे केजरीवाल जोकपाल कहते हैं, वह भी इससे मजबूत है। यह ‘महाजोकपाल’ है। केजरीवाल को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। उन लोगों ने लोकपाल के दायरे को बढ़ाते हुए इसमें केंद्र को शामिल करने के प्रस्ताव को अनावश्यक बताया और कहा कि इसका लक्ष्य एक और टकराव पैदा करना है। उन्होंने कहा, ‘हम लोगों ने आज तक लोकपाल के जितने भी मसौदे तैयार किए हैं, किसी में भी राज्य के लोकायुक्तों को इस तरह के अधिकार की बात नहीं की गई है’।
पिता और पुत्र दोनों ने झूठी शिकायत के लिए एक वर्ष की सजा के प्रावधान पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रावधान सिर्फ शिकायतकर्ताओं को शिकायत करने से रोंकेगे। उन्होंने पूछा ‘तो सरकारी लोकपाल असत्यता तय करेंगे’? भूषण ने चुटकी लेते हुए कहा कि हमलोग अब समझ सकते हैं कि मसौदे को क्यों छिपा कर रखा गया था। उनकी योजना इस महाजोकपाल विधेयक को पारित करने के बाद पीड़ितों से यह कहने की थी कि केंद्र व्यवधान पैदा कर रहा है। कहेंगे कि नहीं करने दिया जी।