अपराधी विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद उसे राजनीतिक संरक्षण को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। टीवी चैनलों पर इसे लेकर बहस के कार्यक्रम भी हो रहे हैं। इसी कड़ी में एक टीवी चैनल पर बहस के दौरान बीजेपी प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी और कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत के बीच तीखी बहस हुई। कांग्रेस प्रवक्ता से त्रिपाठी ने सवाल किया कि दंगाइयों के घर जाकर प्रियंका गांधी क्यों रोती हैं। इस पर कांग्रेस प्रवक्ता ने झिड़क कर जवाब दिया कि मैं बदतमीजी की बहस में नहीं पड़ सकती।
दरअसल, बीजेपी प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि प्रियंका गांधी देश के सामने गलत आंकड़े रखती हैं। इस सवाल के जवाब में श्रीनेत ने जवाब देते हुए कहा, पता नहीं शलभ मणि जी कौन से आंकड़े कोट कर रहे हैं। क्योंकि एनसीआरबी का जो डेटा होता है वहीं क्राइम का डेटा होता है। यह डेटा केंद्र सरकार ने रोकने का प्रयास किया लेकिन यह डेटा निकला। सबसे ज्यादा रेप उत्तर प्रदेश में हुए हैं। महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध उत्तर प्रदेश में हुए हैं। बच्चे बुजुर्गों के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध के मामले उत्तर प्रदेश में हैं। जितने आगजनी के मामले हैं सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में हैं और तो और अवैध असलहों का सबसे ज्यादा मामला उत्तर प्रदेश में हैं। ये हमारा आंकड़ा नहीं है ये सरकारी आंकड़ा है।
प्रियंका वाड्रा क्यों किसी पुलिसवाले के यहाँ नहीं गयीं ? @shalabhmani के सवाल पर सुनिए @SupriyaShrinate का जवाब !
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उन्होंने आगे कहा कि ये योगी जी के राज का डेटा है। पता नहीं शलभ मणि त्रिपाठी जी किस आंकड़ों की बात कर रहे हैं।आंकड़े अपने आप में झूठ नहीं बोलते हैं। जब योगी जी ने ठोको नीति अपनाई तो उस नीति का परिणाम क्या हुआ? योगी जी ने कहा शूट करो लेकिन क्या हुआ क्या नतीजा निकला इन्हें देश को बताना चाहिए।
इसपर शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा कि कितनी सफाई से ये झूठ बोलती हैं इनसे पूछिए ये राजाराम पॉल कौन है? प्रियंका जी कुछ दिन पहले इसके साथ बैठी हुई नजर आईं थी। राजाराम पॉल से प्रियंका गांधी चर्चा कर रही थी किस मुद्दे पर बताइए। दंगाइयों के घर जाकर प्रियंका गांधी क्यों रोती हैं। इस पर श्रीनेत भड़क गई और कहा कि तमीज में बात करिए। मैं बदतमीजी की डिबेट में पड़ना नहीं चाहती।
बता दें कि साल 1990 में अपराध की दुनिया में कदम रखते ही विकास दुबे को सियासी सरपरस्ती मिलनी शुरू हो गई थी। इस दौरान डेढ़ दशक तक वह ग्राम प्रधान रहा। वहीं इस दौरान उसने जिला पंचायत का चुनाव भी लड़ा।
विकास की सियासी पारी की शुरुआत बसपा से हुई और ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान वह बसपा के कई शीर्ष नेताओं के संपर्क में रहा। इसके बाद सपा और भाजपा नेताओं से भी विकास का करीबी संपर्क रहा। भाजपा के दो विधायक तो उसके बेहद करीबी बताए जाते हैं।