चंडीगढ़ नगर निगम चुनावों में आम आदमी पार्टी ने धमाकेदार एंट्री की है। पहली बार मैदान में उतरी अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने सभी को चौंकाते हुए 35 में से 14 सीटों पर जीत हासिल की। दूसरे स्थान पर भारतीय जनता पार्टी रही जिसे 12 सीटों पर जीत मिली जबकि कांग्रेस के खाते में 8 सीटें आईं और शिरोमणि अकाली दल को एक सीट पर जीत से संतोष करना पड़ा। यह ऐसा नतीजा था जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी। चंडीगढ़ में हमेशा कांग्रेस या भाजपा का शासन रहा है, वहां पर आम आदमी पार्टी ने सबसे अधिक सीटें जीतकर सभी को चौंका दिया है। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, चंड़ीगढ़ नगर निगम चुनावों में आदमी आदमी पार्टी की बड़ी जीत के पीछे 5 कारणों पर नजर डालते हैं।

आम आदमी पार्टी का दिल्ली मॉडल ऑफ गवर्नेंस

माना जा रहा है कि AAP का दिल्ली मॉडल लोगों को पसंद आया है और यह पार्टी के निकाय चुनावों में सबसे अधिक सीटें जीतने के पीछे प्रमुख कारणों में से एक रहा है। लोगों में पानी के टैरिफ को लेकर भारी असंतोष था, जिसमें पिछले साल 200 गुना की वृद्धि की गई थी। आम आदमी पार्टी के प्रमुख वादों में से एक चंडीगढ़ में प्रत्येक परिवार को हर महीने 20,000 लीटर तक मुफ्त पानी उपलब्ध कराना था।

सत्ता विरोधी लहर

मोदी लहर के बीच, भाजपा ने 2016 के चुनावों में जीत हासिल की थी। पार्टी ने 26 में से 21 सीटें (शिअद गठबंधन ने एक सीट जीती थी) हासिल की थी, चंडीगढ़ में भाजपा के मेयर थे। पिछले पांच सालों में पानी के टैरिफ में इजाफा और प्रॉपर्टी टैक्स की दरों में वृद्धि सत्ता विरोधी लहर का अहम कारण बनी। खासतौर से कॉलोनियों में रहने वालों के बीच भारी असंतोष था, उनको बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए अधिक खर्च करना पड़ रहा था।

स्वच्छता के मामले में चंडीगढ़ का खराब प्रदर्शन

चंडीगढ़ के निवासी न केवल पानी, बिजली पर आने वाले अधिक बिल से परेशान थे, बल्कि स्वच्छता के मामले में शहर का खराब प्रदर्शन भी भाजपा के पतन का एक प्रमुख कारण बना। 2016 में चंडीगढ़ देश का दूसरा सबसे स्वच्छ शहर था। लेकिन 2021 में, ये शहर रैंकिंग में खिसकर 66 वें स्थान पर आ गया। इसको लेकर यहां के लोगों में निराशा थी। कूड़ा निस्तारण की समस्या को सत्ताधारी दल ने ठीक से नहीं निपटाया।

AAP ने स्थानीय मुद्दों पर किया फोकस, भाजपा मोदी लहर के सहारे चुनाव जीतने की कोशिश में थी

आप के नए उम्मीदवार स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे और जमीनी स्तर पर स्थानीय लोगों से जुड़ रहे थे। उन्होंने लोगों से संपर्क किया और सत्ता में आने पर सिस्टम में बदलाव लाने का वादा किया। आप उम्मीदवारों ने स्थानीय मुद्दों जैसे पार्किंग, कचरा प्रबंधन, जल आपूर्ति और शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया। वहीं, भाजपा के उम्मीदवारों ने प्रचार के दौरान ‘जय श्री राम’ जैसे नारों का इस्तेमाल किया, हिंदुत्व की विचारधारा के पक्ष में अपील किया। स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किए गए विकास कार्यों को बताने की कोशिश की।

कोरोना की दूसरी लहर ने भाजपा की छवि को पहुंचाया नुकसान

कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने भी भाजपा की छवि को नुकसान पहुंचाया। वोटर्स को लगता है कि उस समय अस्पताल में बेड और मेडिकल ऑक्सीजन की मांग बढ़ने पर उन्हें जनप्रतिनिधियों से वैसी मदद नहीं मिली, जैसी जरूरत थी। कई लोगों का कहना था कि उस वक्त पार्षदों से संपर्क नहीं हो पा रहा था, लोग मुश्किलों में थे और उनको सपोर्ट की सख्त जरूरत थी।