कोरोना महामारी की वजह से देश में सवा पांच लाख से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इन सभी लोगों के परिजनों का दुख बहुत बड़ा है। लेकिन देश के 4,345 बच्चों पर तो दुखों का पहाड़ ही टूट गया है क्योंकि इन बच्चों ने अपने माता-पिता दोनों को महामारी की वजह से खो दिया है।
केंद्र सरकार ने बुधवार को संसद को बताया कि महामारी की वजह से देश के 4,345 बच्चों ने अपने मां-बाप दोनों खो दिए।

अन्य राज्यों के मुकाबले महाराष्ट्र में ऐसे मामले सबसे अधिक आए। महाराष्ट्र में ऐसे बच्चों की संख्या 790 है। केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने राज्यसभा को एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। कोरोना संक्रमण के कारण अपने माता और पिता दोनों को गंवाने वाले बच्चों की संख्या के बारे में पूछे गए गए प्रश्न पर ईरानी ने 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के आंकड़े प्रस्तुत करते हुए बताया कि ऐसे बच्चों की कुल संख्या 4,345 है।

उनके मुताबिक महाराष्ट्र में 790, उत्तर प्रदेश में 441, मध्य प्रदेश में 428, तमिलनाडु में 394 और आंध्र प्रदेश में 351 बच्चों ने अपने माता और पिता दोनों को कोरोना की वजह से गंवाया। केंद्रीय मंत्री द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के मुताबिक त्रिपुरा, सिक्किम, लक्षद्वीप, लद्दाख और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में एक भी ऐसा बच्चा नहीं है, जिसने कोरोना के कारण अपने माता-पिता दोनों को गंवाया।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना महामारी के कारण माता-पिता खो चुके बच्चों का सहयोग करने के लिए ’पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन’ योजना की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि इस योजना का उद्देश्य बच्चों की व्यापक देखभाल और सुरक्षा सुनिश्चित करना और स्वास्थ्य बीमा के माध्यम से उनका कल्याण करना, शिक्षा के माध्यम से उन्हें सशक्त बनाना और उन्हें 23 साल की आयु तक वित्तीय सहायता के जरिए आत्मनिर्भर बनाना है।

18 से 23 साल तक मिलेगी मासिक आय

मंत्री की ओर से दिए गए जवाब में कहा गया है कि प्रत्येक चिन्हित बच्चे के बैंक खाते में एक सुनियोजित राशि इस तरह से जमा की गई है कि बच्चे की आयु 18 साल होने पर उसके खाते में दस लाख रूपए हो जाते हैं। डाक घर मासिक आय योजना में दस लाख रूपए की राशि का निवेश करके बच्चे 18 से 23 साल की आयु के बीच मासिक आय पाने के हकदार हैं। 23 साल के होने पर उसे दस लाख रूपए की राशि मिलेगी। मिशन वात्सल्य योजना के तहत रिश्तेदारों के साथ रहने वाले बच्चों को चार हजार रूपए महीने मिल रहे हैं।