देश की 137 साल पुरानी पार्टी कांग्रेस आज 42 साल की भाजपा के सामने लगातार सिकुड़ती चली जा रही है। भाजपा कांग्रेस पर भारी पड़ रही है। हालत यह है कि केंद्र के साथ-साथ भाजपा की 18 राज्यों में सरकार है, जबकि कांग्रेस की केवल चार राज्यों में ही सरकार हैं। कांग्रेस की इस हालत के लिए कांग्रेस के नेता खुद को जिम्मेदार नहीं मानते हैं, जबकि कांग्रेस के अंदर आपसी बिखराव और टूटफूट साफ दिखता है।
भाजपा के 42वें स्थापना दिवस पर बुधवार को आयोजित समारोह में पीएम मोदी ने कहा था कि भारतीय जनता पार्टी जहां “राष्ट्र भक्ति” को समर्पित है वहीं विरोधी दलों का समर्पण “परिवार भक्ति” के प्रति है। परिवारवादी पार्टियों को लोकतंत्र का दुश्मन करार देते हुए मोदी ने यह भी कहा कि ऐसे दल संविधान और संवैधानिक संस्थाओं को कुछ नहीं समझते, उन्होंने देश की प्रतिभा तथा युवा शक्ति को कभी आगे नहीं बढ़ने दिया बल्कि हमेशा उनके साथ “विश्वासघात” किया।
पिछले 38 साल में कांग्रेस की तुलना में भाजपा में लगातार आगे बढ़ रही है, जबकि कांग्रेस पीछे होती रही है। 1984 में भाजपा के पास केवल दो सांसद थे, जबकि कांग्रेस के पा 404 सांसद थे। 1998 में भाजपा के पास सांसदों की संख्या बढ़कर 182 हो गई, जबकि कांग्रेस के पास 141 ही रह गई थी। अब 2022 में भाजपा 301 पर पहुंच गई, जबकि कांग्रेस के पास सिर्फ 53 सांसद ही बचे रह गए।
कांग्रेस कहती है कि भाजपा की वजह से देश की धर्म निरपेक्षता खतरे में है, जबकि कांग्रेस की हालत यह है कि उसका अपना वजूद ही खतरे में दिख रहा है। भाजपा अपना स्थापना दिवस उत्साह के साथ मनाती है, जबकि कांग्रेस में ऐसा कोई उल्लास कभी नहीं नजर आता है। भाजपा बड़े गर्व से कहती है कि उसके पास मोदी जैसा शक्तिशाली नेता है, जबकि कांग्रेस में जी-23 समेत कई नेता अपने अध्यक्ष को लेकर विरोध जताते रहते है और कोई स्थायी अध्यक्ष नहीं होने की दुहाई दे रहे हैं।
भाजपा एक चुनाव जीतने के तुरंत बाद दूसरे की तैयारी में लग जाती है, जबकि कांग्रेस अपनी हार पर ठीक से मंथन ही नहीं करती है और न ही समझने की कोशिश करती है कि कमी कहां पर है। भाजपा के पास मजबूत संगठन है, जबकि कांग्रेस के पास ऐसा कुछ जमीन पर नहीं दिखता है।