रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को सशस्त्र बलों के निगरानी तंत्र को मजबूत करने के लिए अमेरिका से 30 MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन खरीदने की मंजूरी दे दी। यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाशिंगटन यात्रा से कुछ दिन पहले आया है। इस ड्रोन से खास तौर पर चीन के साथ सीमा पर कड़ी निगरानी करने में मदद मिलेगी।

उम्मीद है कि अगले सप्ताह व्हाइट हाउस में मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच वार्ता के बाद लगभग 3 बिलियन अमरीकी डालर के मेगा खरीद सौदे की घोषणा की जाएगी। सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) की बैठक में खरीद प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।

हंटर-किलर सी गार्जियन ड्रोन तीनों सेवाओं के लिए खरीदे जा रहे हैं। यह समुद्री निगरानी, पनडुब्बी रोधी युद्ध और जमीन पर टारगेट करने सहित कई प्रकार की जरूरतें पूरे कर सकते हैं। सूत्रों ने कहा कि नौसेना को 14 ड्रोन मिलने की संभावना है, जबकि भारतीय वायु सेना और सेना को आठ-आठ ड्रोन मिलेंगे।

अमेरिका में निर्मित यह सबसे मजबूत और एडवांस डिफेंस ड्रोन हैं। बिना पायलट वाले इस फाइटर जेट को रिमोट से ऑपरेट किया जाता है। इसमें दुश्मन का खात्मा कर सकने वाला हर हथियार फिट किया जा सकता है। भारत सरकार ऐसे 30 ड्रोन खरीद रही है। इसे चीन-पाकिस्तान बॉर्डर और हिंद महासागर में तैनात किया जाएगा।

ड्रोन 35 घंटे से अधिक समय तक हवा में रहने में सक्षम हैं

हाई-एल्टीट्यूड लॉन्ग-एंड्योरेंस (HALE) ड्रोन 35 घंटे से अधिक समय तक हवा में रहने में सक्षम हैं और चार हेलफायर मिसाइल और लगभग 450 किलोग्राम बम ले जा सकते हैं। MQ-9B के दो संस्करण – स्काईगार्डियन और इसका सिबलिंग सीगार्डियन हैं। 2020 में भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर में निगरानी के लिए एक वर्ष की अवधि के लिए जनरल एटॉमिक्स से दो MQ-9B सी गार्जियन ड्रोन लीज पर लिए थे।

बाद में लीज अवधि बढ़ा दी गई है। भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में पीएलए युद्धपोतों द्वारा बार-बार हमले सहित बढ़ती चीनी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए अपने निगरानी तंत्र को मजबूत कर रही है।