नवंबर 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले में 15 देशों के 166 लोग मारे गए थे। इस हमले को 26/11 के नाम से भी जाना जाता है। बता दें आतंकियों ने प्रतिष्ठित ताजमहल पैलेस होटल, नरीमन हाउस, मेट्रो सिनेमा और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस सहित अन्य स्थानों पर हमला किया था। इसे 13 साल हो चुके हैं लेकिन इस हमले के कई गुनहगार अब भी पाकिस्तान में घुलेआम घूम रहे हैं।
हमले में सुरक्षा बलों ने अजमल कसाब नाम के इकलौते आतंकी को पकड़ा था। जिससे हुई पूछताछ में उसने पुष्टि की थी कि इसकी योजना लश्कर और पाकिस्तान में मौजूद दूसरे आतंकी संगठनों ने की थी। कसाब ने बताया था कि सभी हमलावर पाकिस्तान से आए थे। हमले के दौरान उन्हें पाकिस्तान से ही कंट्रोल किया जा रहा है।
हमले के दस साल बाद, पाकिस्तान के पूर्व प्रधान मंत्री नवाज शरीफ ने सनसनीखेज खुलासे में संकेत दिया था कि इन हमलों में इस्लामाबाद की भूमिका थी। पाकिस्तान द्वारा अपनी सार्वजनिक स्वीकृति के अलावा भारत की तरफ से भी सबूत साझा किए गए। इसके बाद भी पाकिस्तान ने पीड़ितों के परिवारों को न्याय दिलाने में अभी तक ईमानदारी नहीं दिखाई है।
बता दें कि इस हमले को 13 साल पूरे हो चुके हैं। भारत ने 13वीं बरसी पर पाकिस्तान उच्चायोग के राजनयिक को तलब किया।
इससे पहले 7 नवंबर को पाकिस्तानी एक अदालत ने इस हमले में शामिल छह आतंकवादियों को मुक्त कर दिया। जिसमें हाफिज सईद द्वारा बनाई गई रणनीति में शामिल लोग थे। बता दें कि हाफिज सईद संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी संगठन घोषित किए गए लश्कर-ए-तैयबा और इसकी चैरिटी विंग जमात-उद-दावा का संस्थापक है।
बता दें कि इस मामले में पाकिस्तान ने जांच को अटका रखा है। जिसकी वजह से इस हमले में न्याय मिलने में देरी हो रही है। इससे पाक की मंशा पर भी सवाल खड़े होते हैं। उधर संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद विरोधी संगठन द्वारा निगरानी बढ़ाने के चलते पाकिस्तान में आतंकवादी संगठन जांच से बचने के लिए अपना नाम बदलते रहते हैं।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने इस आतंकी हमले के संबंध में पाकिस्तान को कई डोजियर भेजे। जिसके आधार पर पाकिस्तान में सात लोगों को अभियुक्त बनाया गया। लेकिन इन सबके बाद भी 26/11 के हमलों को लेकर किसी भी मुख्य आरोपी पर न तो मुकदमा चला और न ही उसे दोषी ठहराया गया।
